पंजाब में अचानक भाजपा में शामिल होने लगे नेता, चुनाव से पहले कई और थामेंगे दामन

by sadmin

पंजाब | भारतीय जनता पार्टी का पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा से गठबंधन पंजाब के मालवा में नए सियासी समीकरणों को आयाम देगा।

इस गठबंधन में सबसे अहम भूमिका विरोधी दलों में उपेक्षित हो रहे नेता निभा सकते हैं। कांग्रेस, अकाली दल और आप के उपेक्षित और रूठे नेताओं के लिए भाजपा गठबंधन बेहतर विकल्प बन सकता है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के भीतर उठ रही बगावत की चिंगारी पर भी इस गठबंधन की पैनी नजर है। हालांकि तीन दलों के नेताओं के दरमियान आपसी तालमेल बिठाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा, कैप्टन के सहारे कांग्रेस को और ढींढसा के माध्यम से अकाली दल को पटखनी देना चाहती है। कैप्टन, सीधे तौर पर कांग्रेस और ढींढसा, अकाली दल को नुकसान पहुंचाएंगे। दोनों नेताओं की मालवा के कई जिलों में अच्छी पकड़ है और चुनाव परिणामों को प्रभावित करने का दम रखते हैं। भाजपा ने दोनों दिग्गज नेताओं (कैप्टन व ढींढसा) की अंदरूनी सोच को भांप लिया है।

कैप्टन, कांग्रेस हाईकमान व नवजोत सिंह सिद्धू को अपना सियासी कद दिखाना चाहते हैं जबकि ढींढसा की अकाली दल खास तौर पर अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के प्रति मंशा किसी से छुपी नहीं है। दोनों ही नेता पंजाब के बडे़ सिख चेहरे हैं और गहरी सियासी सूझबूझ रखते हैं। ऐसे में भाजपा लोहे को लोहे से काटने की रणनीति के तहत इन नेताओं के सहारे पंजाब में अपनी सियासी नाव पार लगाना चाहती है।

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी में भी बगावत की चिंगारी सुलगने लगी है। संगरूर विधानसभा सीट पर आप प्रत्याशी का विरोध शुरू हो गया है। रूपनगर में भी ऐसे हालात बन रहे हैं। चर्चा है कि आप के कई रूठे नेता, अपने लिए नई सियासी राह पकड़ सकते हैं। इस तमाम जोड़तोड़ को भाजपा अपने पक्ष में जोड़कर देख रही है।

अमित शाह ने लिखी है पटकथा

पंजाब की सियासी पटकथा भाजपा में चाणक्य के रूप जाने जाते पूर्व अध्यक्ष व गृह मंत्री अमित शाह ने लिखी है। खुद कैप्टन दावा कर रहे हैं कि सूबे में आचार संहिता लागू होने के बाद कांग्रेस, ताश के पत्तों के माफिक बिखर जाएगी और कई चोटी के नेता उनकी पार्टी से जुडेंगे। ढींढसा ने कई वरिष्ठ अकाली नेताओं के उनसे संपर्क में होने का दावा किया है।

नए गठबंधनों का शुरू हुआ दौर

बहरहाल पंजाब में नए दलों व नए गठबंधनों का दौर शुरू हो गया है। एक दल से दूसरे दल में शामिल होने वालों की होड़ मचने वाली है और भविष्य में मचने वाला सियासी घमासान यहां बहुकोणीय मुकाबले होने के स्पष्ट संकेत दे रहा है लेकिन पंजाब की सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।

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