मोदी सरकार की दूसरी पारी का आधा सफर यानी ढाई साल का कार्यकाल इसी महीने पूरा हो रहा है। ऐसे में यह जानना-समझना जरूरी है कि इस दौरान तमाम उठापटक और कोरोना जैसी वैश्विक आपदा के बावजूद मोदी सरकार ने किस प्रकार अपने दायित्व की पूर्ति की है। इसकी पड़ताल में यही पता चलता है कि देसी-विदेशी मोर्चों पर तमाम चुनौतियों के बावजूद मोदी सरकार ने साफ नीयत, स्पष्ट नीति और मजबूत नेतृत्व के साथ देश को आगे ले जाने के लिए कितने अनथक प्रयास किए। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से प्रेरणा लेकर, अंत्योदय को दर्शन और सुशासन को मंत्र बनाकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध दिख रही है। उसने विकास को कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने और सही मायनों में आजादी का अहसास कराने की ठानी है।
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‘आत्मनिर्भर कृषि’ आत्मनिर्भर भारत का मूल आधार है। किसानों को लागत से डेढ़ गुनी कीमत दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाना हो या फिर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना, सिर्फ वादा नहीं, बल्कि सरकार का संकल्प है। किसानों के लिए वरदान साबित हुई सम्मान निधि के तहत वर्ष में तीन बार 2,000 रुपये की राशि सीधे खाते में दी जा रही है। अब तक 11 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित की जा चुकी है।
हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के सरकारी कायाकल्प का ही परिणाम रहा कि भारत कोविड जैसी आपदा से दुनिया के कई विकसित देशों की तुलना में कहीं बेहतर तरीके से निपटा। 64,180 करोड़ रुपये की लागत से देश में प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के तहत गांवों के साथ प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की शुरुआत की गई। अब तक देश में 15 नए एम्स खोले गए हैं। आजादी से लेकर 2014 तक देश में 381 मेडिकल कालेज खुले, लेकिन बीते सात साल में ही 184 नए कालेज खोले जा चुके हैं। भारत को कुपोषण मुक्त करने के लिए अब पोषण 2.0 की शुरुआत की गई है।
दशकों तक नियति के भरोसे रहा देश अब समग्र सोच के साथ विकास के पथ पर अग्रसर है तो उसके पीछे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का वही मूलमंत्र है, जिस पर चलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘न्यू इंडिया, ग्रेट इंडिया’ का रोडमैप तैयार किया है। वह सोच जिसमें गरीबों की फिक्र भी है तो उनकी तरक्की का रास्ता भी है, जिसमें युवाओं के लिए स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा जैसी योजनाएं हैं, जो तकनीक सहूलियत के साथ राष्ट्रनीति का आधार बनी है, ‘मेक इन इंडिया-मेक फार द वर्ल्ड’ का नया सिद्धांत है तो लोकल के लिए वोकल होकर आत्मनिर्भर भारत का शंखनाद भी है। इसी तरह ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ से लेकर आधी आबादी के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास भी रंग ला रहे हैं। स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा जैसी योजनाओं का विशेष फोकस भी महिलाओं पर है। वहीं जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाकर राज्य का भारत के साथ पूर्ण एकीकरण सुनिश्चित किया। दशकों से लंबित श्रीरामजन्मभूमि का मामला हो या फिर सिख धर्म के तीर्थ करतारपुर के लिए ऐतिहासिक कारिडोर परियोजना, भारत न सिर्फ अपनी विरासत संभालने के लिए आगे बढ़ा है, बल्कि उन्हें संवारने के बेहतर प्रयास भी किए जा रहे हैं। विकास और देश को नई दिशा देने वाले इन कदमों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व की एक विशेष पहचान है और वह है योग्यता और क्षमता की पहचान कर उसे राष्ट्रनिर्माण के लिए जोड़ना। उनकी कार्यशैली का सिद्धांत है अनुभव और योग्यता के साथ-साथ सामाजिक-क्षेत्रीय संतुलन बनाते हुए जन आकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प। यही वजह है कि गुरुपर्व के मौके पर उन्होंने कृषि कानून वापस लिए तो मन में सिर्फ राष्ट्र हित था। लोकतंत्र में बहुमत ही नहीं, उनका सदैव प्रयास रहा है कि देश-समाज के हर छोटे हिस्से की भावना को भी उतना ही सम्मान मिले। इसी सोच के साथ सेवा और समर्पण के अपने 20 साल में प्रधानमंत्री मोदी जमीनी स्तर पर नीतियों के प्रभावी और तेजी से क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए न सिर्फ नई पीढ़ी, नई ऊर्जा को तरजीह देते हैं, बल्कि प्रतिभा और योग्यता को जनसेवा से जोड़ना उनकी कार्यनीति का महत्वपूर्ण आधार है, जो नए भारत की नई गाथा लिख रहा है