नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने नोटबंदी को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कटाक्ष करते हुए कहा कि इस कदम के बाद चलन में नकदी घटने की बजाय बढ़ गई। उन्होंने ट्वीट किया कि बदनाम नोटबंदी के पांच साल बीत जाने के बाद मोदी सरकार की लंबी-चौड़ी घोषणाओं की क्या स्थिति है? प्रधानमंत्री मोदी ने पहले कहा था कि हमें कैशलेस (नकद रहित) अर्थव्यवस्था बनना है। कुछ दिनों के भीतर अहसास हो गया कि यह हास्यास्पद लक्ष्य है। फिर उन्होंने इसमें संशोधन करते हुए कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की बात की। पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि नोटबंदी के समय चलन में कुल नकदी 18 लाख करोड़ रुपए थी और अब यह बढ़कर 28.5 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है। उच्च बेरोजगारी दर एवं मुद्रास्फीति की मार, गरीब एवं मध्यवर्ग कम नकद कमाते हैं और कम खर्च करते हैं। हम वाकई कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बन गए है। नोटबंदी के पांच साल बाद चलन में नोट धीरे धीरे लेकिन बढ़ते रहे। हालांकि डिजिटल भुगतान में भी वृद्धि हुई और अधिकाधिक लोग बेनकदी भुगतान तरीके को अपना रहे हैं।
मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्ष में नोट चलन में बढ़े क्योंकि कई लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच एहतियात के तौर पर नकद को रख लिया। इस महामारी ने सामान्य जनजीवन एवं आर्थिक गतिविधियों पर असर डाला। चिदम्बरम ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने पेट्रोल एवं डीजल पर संग्रहित करों पर कुछ आंकड़ों का खुलासा किया है और यदि वे तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए हैं तो केंद्रीय वित्त मंत्री को इस पर अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, कि आंकड़ों से खुलासा हुआ कि 2020-21 में उत्पाद शुल्क के तौर पर 3,72,000 करोड़ रूपए का संग्रहण हुआ। उसमें से बस 18,000 करोड रुपए ही मूल उत्पाद शुल्क के रूप में वसूले गए तथा 41 फीसद राज्यों के साथ साझा किए गए। बाकी 3,54,000 करोड़ रुपए केंद्र के पास गए। यह मोदी सरकार का सहयोग-परक संघवाद नमूना है। कांग्रेस नेता ने सवाल किया इसके अलावा 3,54,000 करोड़ रुपए की विशाल धनराशि कैसे और कहां खर्च की गई। उन्होंने दावा किया कि ‘एक हिस्सा कोरपोरेट कर घटाने से पैदा हुए छेद को भरने तथा कोरपोरेट को 14,5000 करोड़ रुपए की सौगात देने के लिए किया गया।
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