नई दिल्ली । देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैचारिक मतभेद भुलाकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साहस की जमकर प्रशंसा की है। शंघाई कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन के एक सेमिनार में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने न सिर्फ सालों तक देश का नेतृत्व किया बल्कि युद्ध के समय में भी नेतृत्व प्रदान किया। सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने रानी लक्ष्मीबाई और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का भी जिक्र किया और कहा कि राष्ट्रीय विकास में महिला शक्ति की भूमिका को लेकर भारत का अनुभव सकारात्मक रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका पर बातचीत करना ठीक है, लेकिन सुरक्षा और राष्ट्र-निर्माण के सभी क्षेत्रों में उनके व्यापक योगदान को पहचाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘देश की रक्षा और लोगों के अधिकारों के लिए इतिहास में महिलाओं के हथियार उठाने के अनेक उदाहरण हैं। रानी लक्ष्मीबाई उनमें सबसे प्रमुख हैं।’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल वर्षों तक देश की कमान संभाली, बल्कि युद्ध के समय भी नेतृत्व किया। कुछ साल पहले प्रतिभा पाटिल भारत की राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर थीं।’
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 की जंग जीती थी और एक नया देश, बांग्लादेश बना था। सिंह ने कहा कि पालक और रक्षक के तौर पर सदियों से महिलाएं भूमिका निभाती आ रही है। उन्होंने कहा, ‘सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा की देवी हैं तो मां दुर्गा रक्षा, शक्ति, विनाश और युद्ध की देवी हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी के लिए जल्द पहल की और महिलाओं की भर्ती स्थायी कमीशन के रूप में सेना में होने लगी है। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘महिलाएं 100 साल से अधिक समय से भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा में गौरव के साथ सेवाएं दे रही हैं। भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती 1992 में शुरू हुई थी। अब सेना की अधिकतर शाखाओं में महिला अधिकारियों की भर्ती की जाने लगी है।’ उन्होंने कहा कि अगले साल से महिलाएं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगी।
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