दक्षिणापथ. तोक्यो
तोक्यो ओलिंपिक में 130 करोड़ भारतीयों की गोल्डन उम्मीद ने उस वक्त दम तोड़ दिया, जब पुरुष हॉकी टीम को बेल्जियम से सेमीफाइनल में मात मिली। मुकाबले की दमदार शुरुआत करने वाली टीम इंडिया हाफ टाइम तक 2-2 से बराबरी पर थी, लेकिन फाइनल टाइम तक 2-5 से पिछड़ गई। खैर, पदक की उम्मीद अभी बाकी है। उसे ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में जर्मनी से गुरुवार को भिड़ना है। हालांकि, यह मुकाबला भी उसके लिए आसान नहीं होगा।
अगर हेड टु हेड रेकॉर्ड पर नजर डालें तो दोनों टीमें ओलिंपिक इतिहास में अब तक 11 बार आमने-सामने हुई हैं। इस दौरान दोनों के नाम 4-4 जीते दर्ज हैं और 3 मैच ड्रॉ रहे हैं। ओलिंपिक में तो रेकॉर्ड बराबरी का है, लेकिन जब इंटरनैशनल हॉकी फेडरेशन के मुकाबलों पर नजर डालें तो भारत पिछड़ जाता है। भारत के नाम 40 मैचों में 12 जीत है, जबकि जर्मनी ने 18 मुकाबलों में जीत दर्ज की है। 10 मुकाबले ड्रॉ रहे।
द्विपक्षीय सीरीज के दौरान भी जर्मनी का पलड़ा भारी है। रियो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडल विनर जर्मनी ने 19 में से 10 मैचों में जीत दर्ज की है, जबकि भारत के नाम सिर्फ 3 मुकाबले रहे हैं। शेष 6 ड्रॉ रहे। ओवरऑल रेकॉर्ड देखेंगे तो पाएंगे कि दोनों के बीच 100 मैच हुए हैं, जिसमें से भारत ने 20 में जीत दर्ज की है, जबकि जर्मनी ने 53 मैचों में बाजी मारी है। 27 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।
इस तरह ओवरऑल रेकॉर्ड भारत के पक्ष में नहीं है, लेकिन उसने ओलिंपिक में अभी तक शानदार प्रदर्शन किया है। ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम को छोड़ दिया जाए तो उसने अपने सभी मुकाबले जीत हैं। जब टीम इंडिया जर्मनी के खिलाफ उतरेगी तो उसकी पूरी कोशिश रेकॉर्ड को पीछे छोड़कर इतिहास रचने की होगी।
ओलिंपिक में आखिरी भिड़ंत
ओलिंपिक में देखा जाए तो भारत और जर्मनी के बीच आखिरी भिडंत रियो-2016 में हुई थी। ग्रुप-स्टेज गेम में जर्मनी ने भारत को 2-1 से हराया था।
1980 के बाद पहले मेडल की आस
भारत ने आखिरी बार मास्को ओलिंपिक 1980 में फाइनल में जगह बनायी थी और तब टीम ने अपने आठ स्वर्ण पदकों में से आखिरी स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद से भारतीय हॉकी का एक तरह से पतन हुआ और कई मर्तबा तो वह खेलों के महाकुंभ के लिए क्वॉलिफाइ करने में भी असफल रही थी।