बंगाल-असम सहित 5 राज्यों में प्रदर्शन को नए अध्यक्ष से नहीं जोड़ना चाहती: सोनिया गांधी

by sadmin

कोलकाता। कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव को फिलहाल टाल दिया है। पार्टी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगी। इस फैसले से साफ है कि जहां कांग्रेस में अभी सबकुछ ठीक नहीं है, वहीं पार्टी को पांच राज्यों के चुनावों से भी ज्यादा उम्मीद नहीं है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि हार को नए अध्यक्ष के प्रदर्शन से जोड़ा जाए। पार्टी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं की नाराजगी अभी बरकरार है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जिस तरह इन नेताओं ने संगठन चुनाव की वकालत की, उससे साफ है कि वह अपनी मांग पर बरकरार है। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 19 दिसंबर को पत्र लिखने वाले नेताओं के साथ बैठक कर नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी। पर बाद में वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपनी मांग दोहराई थी। इसके अलावा पार्टी के सामने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन की भी चुनौती है। पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में कुछ माह बाद चुनाव है। इनमें से किसी भी राज्यों में पार्टी की स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। ऐसे में पार्टी रणनीतिकारों ने चुनाव टालना बेहतर समझा। क्योंकि, पार्टी प्रदर्शन को नए अध्यक्ष से जोड़कर देखा जाता। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कांग्रेस की हिस्सेदारी बहुत कम है। पर असम, केरल और पुडुचेरी में कांग्रेस पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव है। पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार में है, पर डीएमके के अलग चुनाव लड़ने से स्थिति बिगड़ सकती है। केरल में भी पार्टी की स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। ऐसे में एलडीएफ को लाभ मिल सकता है। असम में कांग्रेस ने पांच पार्टियों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पर भाजपा के आक्रामक प्रचार और पार्टी में गुटबाजी की वजह से चुनावी नुकसान हो सकता है। ऐसे में इन राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन को नए अध्यक्ष के प्रदर्शन से जोड़कर देखा जाता। इसलिए, पार्टी ने इससे बचने की कोशिश की है। वहीं, असंतुष्टों को मनाने का वक्त मिल गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार कहती रही है वह सभी को साथ लेकर चलना चाहती है। ऐसे में सोनिया गांधी एक बार फिर असंतुष्ट नेताओं के साथ चर्चा कर सकती हैं। ताकि, पांच राज्यों में एकजुट होकर चुनाव लड़ने के साथ जून में होने वाली पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में किसी तरह की कोई बाधा पैदा नहीं हो पाए।

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