नई दिल्ली । गोवा में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 40 सदस्यीय सदन में 17 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन न तो वह सरकार बना पाई और न ही अपने सदस्यों को एकजुट रखने में कामयाब हो पाई, जिससे उसके पास मौजूदा सीट की संख्या गिरकर मात्र दो रह गई है। हालांकि पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रही है और उसका कहना है कि विधायकों के पार्टी छोड़कर जाने से वह विचलित नहीं है।
गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको भी उन विधायकों में शामिल हो गए, जिन्होंने पिछले पांच साल में पार्टी छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पिछले सप्ताह आठ उम्मीदवारों के नामों की पहली सूची की घोषणा की थी, जिसमें लौरेंको का भी नाम शामिल था। लौरेंको के इस्तीफे से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गोवा इकाई के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, ‘‘कांग्रेस तीन पहियों वाली एक ‘रिक्शा पार्टी’ बनकर रह गई है और जल्द ही वह केवल दो विधायकों के साथ एक ‘साइकिल पार्टी’ में बदल जााएगी।’’ फडणवीस ने भविष्यवाणी की थी कि प्रतापसिंह राणे भी कांग्रेस छोड़ देंगे, लेकिन वह अब भी कांग्रेस में हैं।
कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका 2019 में लगा था, जब विपक्ष के तत्कालीन नेता चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में 10 विधायकों का एक समूह पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया था। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे निकट आ रहे हैं, एक के बाद एक और विधायक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद गोवा के मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पहले नेता थे। उन्होंने विधायक के तौर पर शपथ लेने के कुछ ही देर बाद इस्तीफा दे दिया था। उनके बाद सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्ते ने भी पार्टी छोड़ दी।
ये तीनों नेता उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर फिर से निर्वाचित हुए। हाल में पूर्व मुख्यमंत्रियों लुइजिन्हो फलेरियो और रवि नाइक ने भी कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी। पार्टी में अब केवल प्रतापसिंह राणे और दिगम्बर कामत बचे हैं। ये दोनों भी पूर्व मुख्यमंत्री हैं।