लंदन । शराब सबसे ज्यादा उपयोग में लाए जाने वाले मादक पदार्थों में से एक माना जाता है। इसके मस्तिष्क पर प्रभाव के कई अध्ययन हो चुके हैं। कई लोग इसका संबंध कई मानसिक व्याधियों से मानते हैं, जबकि कई विशेषज्ञ इसी धीमे जहर की तरह मानते हैं। हाल ही में चूहों पर किए गए प्रयोग में पता चला है कि शराब का नर और मादा मस्तिष्क पर अलग अलग असर होता है। एक एकेडमिक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि शराब पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क पर अलग अलग तरह से असर डालती है। इसका आधार वह शोध है, जिसमें वैज्ञानिकों ने शराब के प्रभाव के रूप में चूहों के मस्तिष्क के प्रमस्तिष्कखंड की गतिविधियों में बदलाव देखा, लेकिन यह बदलाव और असर नर और मादा चूहों में अलग-अलग देखा गया। शराब के सेवन के साथ घबराहट और अवसादन दोनों साथ साथ चलते हैं। जिसमें मस्तिष्क के हिस्से प्रमस्तिष्कखंड की भूमिका होती है। प्रमस्तिष्कखंड और कोर्टेक्स के आगे के हिस्से का आवरण के बीच के जैसे क्षेत्रों में दिमाग की सामन्जस्य बनाने की गतिविधि में बदलाव कई प्रभाव डालते हैं और ये चूहों और मानव दोनों के घबराहट और डर वाले बर्ताव को प्रभावित करते हैं। घबराहट, अवसाद, अन्य मूड संबंधी विकार और शराब का अधिक सेवन एक साथ होने वाली बीमारी की तरह के चक्र के रूप में एक दूसरे के लिए ईंधन का काम करते हैं। खास तौर पर शराब की लत घबराहट और बेचैनी पैदा करती है और यह बेचैनी शराब के सेवन को उकसाती है। यह मानसिक विकार और शराब के लत का दिमाग के बासोलेटरल एमिगडाला (बीएलए) से संबंध है। बहुत से अध्ययनों ने शराब के उपयोग और उसकी वजह से पैदा होने वाले डिप्रेशन और बेचैनी जैसी इन मानसिक समस्याओं को रेखांकित किया है। यह विशेषतौर पर ऐसे लोगों के लिए शराब के उपयोग के विकार से पीड़ित हैं। अमेरिका में 85 प्रतिशत शराब का सेवन करने वालों में से ऐसा केवल 5 प्रतिशत व्यस्कों में होता है।
फिर भी गौर करने वाली बात यह है कि शराब प्रमस्तिष्कखंड नेटवर्क पर बर्ताव बदलने के लिए कैसा प्रभाव डालती है इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं ने चूहों को शराब देने के बाद उनके प्रमस्तिष्कखंड में दोलनी अवस्था को मापा और पाया कि इसके प्रभाव नर और मादा चूहों में अलग अलग होते हैं और ऐसा ज्यादा शराब देने पर ज्यादा होता है। वास्तव में मादाओं में दोलनी अवस्था बार बार शराब पीने से भी बदलाव नहीं आता है। शोधकर्ताओं ने यह प्रयोग चूहों में बारबार किया और इस दौरान उन्होंने नर में मादा नेटवर्क गतिविधियों के गुणों को सक्रिय करने वाले रिसेप्टर के बिना ही यह शराब दी। इससे पता चला कि शराब प्रमस्तिष्कखंड को सक्रिय अवस्था में बदलाव लाने के लिए उत्प्रेरित कर सकती है। इससे घबराहट और डरभरे बर्ताव में बदलाव को भी प्रेरित कर सकते हैं।
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