लंदन । वियाग्रा दवा सीलदेनाफिल के ब्रैंड का नाम है, इस लोग इरेक्टाइल डिसफंक्शन के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल करते हैं। 18 साल और इससे ऊपर उम्र के लोग ही यह दवा खरीद सकते हैं। आसान भाषा में समझ सकते हैं कि दवा से प्राइवेट पार्ट में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। इससे इरेक्शन मेनटेन रहता है और इंटरकोर्स पॉसिबल हो पाता है। हालांकि बिना एक्सपर्ट सलाह के इस दवा को लेना काफी नुकसानदायक होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वियाग्रा लेने के 1 घंटे बाद ही काम करना शुरू कर देती है। यह भी पॉसिबल है कि यह खाने के आधे घंटे बाद काम करना शुरू कर दे और यह भी संभव है, कि 4 घंटे तक इसका असर न हो। अगर आपको डॉक्टर ने यह दवा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए लिखी है और इसका असर नहीं दिख रहा, तब खुद से डोज कभी भी न बढ़ाएं। हमेशा डॉक्टर की सलाह लें। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार दवा सीलदेनाफिल जो कि वियाग्रा के नाम से मिलती है, लंग फाइब्रोसिस जैसी बीमारी के केस में दी जाती है। इससे ब्लड फ्लो बढ़ता है। ट्रीटमेंट के दौरान इस 30 से 100 एमजी तक दिया जाता है। जब इस दवा को हाई डोज में ले लिया जाता है, तब ब्लड प्रेशर गिर जाता है। बीपी इतना लो हो जाता है कि हार्ट और ब्रेन की ब्लड सप्लाई बंद हो जाती है। इस ब्रेन और हार्ट में स्कीमिया हो जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इरेक्टाइटल डिसफंक्शन के लिए यह दवा आईवी यानी इंजेक्शन के रूप में कतई नहीं लेनी चाहिए। इससे ओरल दवा लेने की तुलना में ज्यादा नुकसान होता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए ओरल और आईवी दवाओं से बचना ही बेहतर है। लोकल ऑइंटमेंट या इरेक्शन पंप आते हैं जिनका इस्तेमाल सेफ रहता है। डॉक्टर ने बताया कि बिना हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह के वियाग्रा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वियाग्रा के साइड इफेक्ट्स को देखते हुए इस पर बैन लग जाना चाहिए।
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