महाभारत के ये श्राप जिसे आज भी भुगत रहे हैं जनमानस

by sadmin

जिनमें से एक है महाकाव्य महाभारत। इस ग्रंथ में संपूर्ण द्वापर युग वर्णित है। इससे संबंधित कई कथाएं प्रचलित है, परंतु आज इस आर्टिकल में हम आपको इसमें जुड़ी कोई कथा नहीं, बल्कि आज हम आपको बताने जा रहे हैं महाभारत के कुछ ऐसा श्राप जो मिले तो महाभारत के समय में थे, परंतु आज भी इन श्रापों को जनमानस भुगत रहे हैं। तो आईए जानते हैं इससे जुड़ी जानकारी-

महाभारत में दिए गए श्रापों में युधिष्ठिर का स्त्री जाति को दिया गया श्राप सर्वविदित है। महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार जब कुरुक्षेत्र में युद्ध के दौरान अर्जुन ने महारथी कर्ण का वध कर दिया तब पांडवों की माता कुंती उसके शव के पास बैठकर विलाप करने लगी। ये देखकर पांडवों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ की आखिर ऐसी क्या बात है जो हमारी माता हमारे शत्रु के शव पर अपना आंसू बहा रही हैं। तब ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर अपनी माता कुंती के पास गए और उन्होंने देवी कुंती से पूछा माता क्या बात है जो आप हमारे सबसे बड़े शत्रु कर्ण के शव पर विलाप कर रही है।

तब देवी कुंती ने बताया की पुत्रों जिसे तुम अपना सबसे बड़ा शत्रु समझते रहे वास्तव में वो तुम सभी का बड़ा भाई था। कर्ण राधेय नहीं बल्कि कौन्तेय था। अपनी माता के मुख से ऐसी बातें सुनकर पांचों पांडव दुखी हो गए। फिर कुछ क्षण रुककर युधिष्ठिर अपनी माता कुंती से बोले हे माते ये बात तो आप सदा से जानती रही होगी की अंगराज कर्ण मेरे बड़े भाई थे तब आप ने हमलोगों को यह बात बताई क्यों नहीं। इतने दिनों तक ये बात आप छुपा कर क्यों रखी,आपके एक मौन ने हम सभी को अपने ही भाई का हत्यारा बना दिया। इसलिए मैं आज इस धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में सभी दिशाओं,आकाश और धरती को साक्षी मानकर सभी स्त्रीजाति को ये श्राप देता हूँ की आज के बाद कोई भी स्त्री अपने अंदर कोई भी रहस्य नहीं छुपा पाएगी।

दूसरी कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के अंतिम दिन जब अश्वत्थामा ने धोखे से पाण्डव पुत्रों का वध कर दिया और बात का पता जब पांडवों को चला तो तब पाण्डव भगवान श्रीकृष्ण के साथ अश्वत्थामा का पीछा करते हुए महर्षि वेदव्यास के आश्रम पहुंचे। पांडवों को अपने सामने देख अश्वत्थामा ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र से वार किया। यह देख श्री कृष्ण ने अर्जुन को ब्रह्मास्त्र चलने को कहा जिसके बाद अर्जुन ने भी अश्व्थामा पर ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया। परन्तु महर्षि व्यास ने बिच में ही दोनों अस्त्रों को टकराने से रोक लिया और अश्वत्थामा एवं अर्जुन से कहा क्या तुम लोग ये नहीं जानते की ब्रह्मास्त्र के आपसे में टकराने से समस्त सृष्टि का नाश हो जायेगा।

इसलिए तुम दोनों अपने-अपने ब्रह्मास्त्र वापस ले लो। तब अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा ने महर्षि से कहा महर्षि मेरे पिताजी ने इसे वापस लेने की विद्या नहीं सिखाई है इसलिए मैं इसे वापस नहीं ले सकता और इसके बाद उसने ब्रह्मास्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी। यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और किसी भी जगह, किसी पुरुष के साथ तुम्हारी बातचीत नहीं हो सकेगी। तुम्हारे शरीर से पीब और लहू की गंध निकलेगी। इसलिए तुम मनुष्यों के बीच नहीं रह सकोगे।दुर्गम वन में ही पड़े रहोगे और इसी कारण आज भी ये माना जाता है की अश्व्थामा अभी भी जीवित है।

Related Articles

Leave a Comment