कृषि कानून ही नहीं सरकार का मन और नीयत भी काला है : गुप्त

by sadmin

राज्य स्तरीय किसान संसद ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करके एमएसपी की कानूनी गारंटी का प्रस्ताव पारित किया
दक्षिणापथ, दुर्ग।
राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा संसद के पास दिल्ली के जंतर मंतर में किसान संसद का आयोजन किया। किसानों द्वारा संसद सत्र के समानान्तर 13 अगस्त तक प्रति दिन किसान संसद का आयोजन किया जायेगा। राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा के समर्थन में छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन द्वारा दुर्ग में प्रदेश स्तरीय किसान संसद का आयोजन किया गया। किसान संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित करने के लिये आईके वर्मा को स्पीकर के रूप में चुना गया। किसान संसद में चर्चा शुरू करते हुए एड. राजकुमार गुप्त ने प्रतीकात्मक रूप से तीनों कृषि कानूनों के पक्ष में दलील रखा। चर्चा की शुरूवात करते हुए तेजराम साहू विद्रोही ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीनों कानून किसानों के हित में नहीं बल्कि कार्पोरेट के हितों को ध्यान में रखकर बनाया है। यदि कानून रद्द नहीं हुए तब किसान बर्बाद हो जायेंगे। राज्य की सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि मंडी अधिनियम की धारा 36 (3) में राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह मंडियों में एमएसपी के कम दाम में कृषि उपज की खरीदी न हो यह सुनिश्चित करे किंतु पहले और वर्तमान में राज्य सरकार ने अपने दायित्व का निर्वाह नहीं किया जिसके कारण किसानों को अपनी उपज 500 से 700 रूपये तक कम दामों में अपनी उपज बेचने के लिये मजबूर होना पड़ता है।
सदन में अपनी बात रखते हुए झबेंद्र भूषण वैष्णव ने कहा कि सरकार पूछती है कि किसान बतायें कानून में क्या काला है? हम कहते हैं कि जिस तरह किसानों से बात किये बिना और कोरोना संक्रमण काल का अनुचित लाभ उठाते हुए जिस तरह से सरकार ने संसद में विधेयक को पारित कराया हैं। इससे पता चलता है कि सरकार का मन और नीयत दोनों ही काला है, राज्य की बघेल सरकार के किसान न्याय योजना को अन्याय बताते हुए। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ प्रदेश के सिर्फ दो तिहाई किसानों को ही मिल रहा है उद्यानिकी, चारा सहित अन्य फसल लेने वाले और पशुपालन करने वाले एक तिहाई किसानों योजना के लाभ से वंचित रखा गया है यह सरकार का कैसा न्याय है ? बघेल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि चना गेंहूं आदि उपजों की सरकारी खरीदी करने का चुनावी वायदा आज तक पूरा नहीं किया गया है।
किसान संसद में मोतीलाल सिंहा, रविप्रकाश ताम्रकार, पारसनाथ साहू, हीराचंद साहू,मदन साहू आदि ने भी अपने विचार रखते हुए केंद्र सरकार पर किसानों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए तीनों कृषि कानून रद्द करने और एमएसपी के कानूनी गारंटी प्रदान करने की मांग रखी। किसान संसद के स्पीकर आईके वर्मा ने तीनों कृषि कानून रद्द करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी के प्रस्ताव पर मत विभाजन कराया। प्रस्ताव के विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा इस प्रकार किसान संसद ने एक मत से तीनों कृषि कानूनों को खारिज कर दिया, स्पीकर ने आज की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिये स्थगित करने की घोषणा कर दिया। दुर्ग में आयोजित राज्य स्तरीय किसान संसद में छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन, किसान बंधु, संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े किसान संगठनों के रायपुर, दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव, गरियाबंद आदि जिलों के 30 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए जिनमें उत्तम चंद्राकर, टेकसिंह चंदेल, परमानंद यादव, बाबूलाल साहू, प्रमोद पवांर, कल्याण सिंह ठाकुर, माधव साहू, वेदनाथ हिरवानी, दीपक यादव, संतु पटेल, शंकर राव, मंगलूराम बघेल, भगतराम, सुभायु दास, नेतराम साहू, खेमूलाल, सुभाषचंद्र, गिरधर साहू, रूपसिंह वर्मा, अनुज साहू, परस साहू आदि शामिल थे।

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