दक्षिणापथ, दुर्ग। अधिकारियों के द्वारा जिस तरह से मोहल्ला क्लास के नाम पर दबाव बनाया जा रहा हास्यास्पद लगता है, क्या मोहल्ला क्लास से संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ेगा, ये कैसा आदेश है, अगर मोहल्ला क्लास मे संक्रमण बढ़ा तो इसके लिए जवाबदारी किसकी होगी यदि किसी विद्यालय मे 300 बच्चे है और ईमानदारी से सभी बच्चे आ गए यदि उन 300 बच्चों पर 5 भी मोहल्ला क्लास लगाया जाता है और 50 बच्चे भी आ गए तो सोशल डिस्टेंस का न सिर्फ मजाक होगा बल्कि खुले रूप मे संक्रमण को बढ़ावा मिलेगा इससे तो बेहतर है बच्चों को विद्यालय ही बुलाया जाए, एक दिन मे केवल एक या दो कक्षा के बच्चों को बुलाया जाये जिससे सुविधा भी होगी, बच्चे टॉयलेट, व अन्य सुविधा से भी परेशान नहीं होंगे, अधिकारियों को चाहिए उच्च कार्यालय तक मोहल्ला क्लास के व्यावहारिक परेशानीयों को अवगत कराना, शिक्षक कभी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटा है मगर ऐसे मोहल्ला क्लास से पढ़ाई अच्छा होगा, संदेह है,प्रायः हर विद्यालय मे खेल मैदान है वहीं क्लास लगाने आदेश किया जाये जिससे शिक्षक की गरिमा को भी ठेस न पहुँचे । अन्यथा गाँव या शहर मे असमाजिक तत्वों की कमी नहीं है, कोई भी अप्रिय घटना शिक्षक के लिए असहनीय होगा, इस पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
बच्चे घर घुस्सू हो गए हैं..
कोचिंग सेंटर्स को कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति मिल गई है। मगर खुल नहीं रही है। वजह जानकर हैरान हो जाएंगे। ज्यादातर बच्चों ने संचालकों को कह दिया है ऑनलाइन पढ़ाई ही ठीक है। आफ लाइन नहीं पढ़ेंगे। करीब डेढ़ साल के कोरोनाकाल में बच्चे घर घुस्सू हो गए हैं। घर से निकलना ही नहीं चाह रहे हैं। माता पिता जरा से ध्यान रखें। बच्चों को कम से कम नियमित रूप से टहलाने ले जाएं। उनके व्यवहार में भी अजीबों गरीब चीजें देखी जा रही हैं। उन्हें अपने आसपास के दोस्तों से मिलकर गप सड़ाके लगाने के लिए भी प्रेरित करें। एक बात और ऐसा करने से टीवी और मोबाईल को थोड़ी बहुत राहत मिल जाएगी, जो कि उनके आराम के लिए बहुत जरूरी हो गया है।
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