दक्षिणापथ, पाटन । विकासकार्यो के लिए आसमान छूती पाटन नगर पंचायत आज अपने ही नगर में बने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन वाचनालय को भूल गए हैं।शिक्षकों के मानसम्मान को बढ़ाने वाले शिक्षकों व नागरिको के लिए बनी वाचनालय सुविधाओं से कोसो दूर है । वाचनालय में किताबे नही ताला बंद रहता है।संरक्षण के आभाव में वाचनालय आज जर्जर हालत में दिखाई देता है।वाचनालय के सामने कूड़ा करकट गंदगी फैले नजर आते है , लोग वाचनालय की दीवार को पेशाब करने के लिए उपयोग करते नजर आते है। और यह नजारा वर्षो से पाटन की जनता रोज देख रहे हैं। लेकिन इस ओर नगर पंचायत पाटन के अधिकारियों, कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों को नही दिखाई देता।
स्वच्छता के मामले में अग्रणी कहलवाने वाले नगरपंचायत वास्तव में जमीनी रूप में स्वच्छता मामले में पिछड़ा नजर आता है। आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है. वे दर्शनशास्त्र का भी बहुत ज्ञान रखते थे, उन्होंने भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुवात की थी. राधाकृष्णन प्रसिध्य शिक्षक भी थे, यही वजह है, उनकी याद में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. बीसवीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे उपर है. वे पश्चिमी सभ्यता से अलग, हिंदुत्व को देश में फैलाना चाहते थे. राधाकृष्णन जी ने हिंदू धर्म को भारत और पश्चिम दोनों में फ़ैलाने का प्रयास किया, वे दोनों सभ्यता को मिलाना चाहते थे. उनका मानना था कि शिक्षकों का दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाइये, क्यूंकि देश को बनाने में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान होता है.ऐसे महान शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के एकमात्र वाचनालय आज देखरेख के आभाव में जर्जर हालत में है। इस ओर शासन प्रशासन को उचित ध्यान देना चाहिए।
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