लोकतंत्र सेनानी गोवर्धन जायसवाल की खरी-खरी….

by sadmin

दक्षिणापथ, दुर्ग । वर्तमान परिवेश में समूचे देश के भीतर जो मुद्दे उभरकर सामने आए हैं उसमें आपातकाल अघोषित आपातकाल, लोकतांत्रिक एवं अलोकतांत्रिक जैसे महत्वपूर्ण मसले ठीक इसी के इर्द-गिर्द घूमते हुए परिलक्षित हो रहा है। यह विश्व का बड़ा लोकतांत्रिक देश के भीतर आना एक बहुत अच्छा लक्षण है। उपरोक्त मसले से संदर्भित बयान दुर्ग के कतिपय, जागरूक एवं सक्रिय जनप्रतिनिधियों में राष्ट्रीय भाजपा उपाध्यक्ष एवं छग. के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुश्री सरोज पांडे के द्वारा 46 वीं काला दिवस वर्षगांठ के दौरान आपातकाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सुझाव पर संवैधानिक ढंग से तत्कालिक प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को उचित था। वर्तमान में कतिपय मुद्दों पर मोदी सरकार अघोषित आपातकाल पर उतारू है एवं अलोकतांत्रिक है। ठीक जारी इस मुद्दे की ओर इंगित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पूर्णकालिक एवं प्रवक्ता लोकतंत्र सेनानी गोवर्धन प्रसाद जयसवाल ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा राजनीति में सतत जागरूकता एवं बयान बाजी बहुत अच्छी बात है लेकिन कभी-कभी मौन साध लेना भी राजनीति का एक हिस्सा है। इसी मसले पर नसीहत देते हुए कहा कि बयान पूर्ण जानकारी एवं पुख्ता में होना चाहिए। आपातकाल को घोषित करने संबंधित उपयोग अनुचित था आपातकाल ठीक उसी स्थिति में लागू किया जाता जब राष्ट्र के आंतरिक सुरक्षा व अशांति एवं विदेशी आक्रमण के दौरान प्रयोग करने का यह एक महत्वपूर्ण ब्रह्मास्त्र है लेकिन देश में ऐसी कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी गद्दी सलामत रखने के लिए 25 जून 1975 को अर्ध रात्रि में लिया गया निर्णय है अर्ध रात्रि में निर्णय कौन लोग लेते हैं इसे सभी जानते हैं, इसके बाद देश ने अपना निर्णय सुना दिया था। आत्मा की आवाज पर कांग्रेसी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने आपातकाल को अनुचित बताते हुए अपनी दादी एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भारी चूक बताया हैं।

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