दक्षिणापथ,रायपुर। तीन काले किसान विरोधी कानूनों की आज बरसी पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि मोदी सरकार अहंकार का त्यागकर कृषि कानूनों को वापस लें। आज इन काले कानूनों की बरसी पर मोदी सरकार को चाहिए कि वो देश के किसानों के संघर्ष का सम्मान करते हुये अपने निर्णय को वापस लेने की घोषणा करें। इन किसान विरोधी कानूनों को फौरन खारिज करे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि जब भी ‘प्रजातंत्र की देवता-देश की जनता’ की अदालत में इन मोदी सरकार की किसानों पर की गयी ‘क्रूरताओं और बर्बरताओं’ का मुकदमा चलेगा तब 500 से अधिक किसानों की शहादतें, लाखों किसानों की राह में बिछाए गए ‘कील और काँटे’, महीनों सड़कों पर पड़े रहने की वेदनाएं और 62 करोड़ किसान-मजदूरों की असहाय पीड़ा मोदी सरकार के किसान विरोधी चरित्र का जीता जागता सबूत बनेंगी। प्रजातंत्र के देवता-देश की जनता का ऐसा फैसला होगा, ताकि भविष्य के भारत में फिर कभी कोई तानाशाह देश के किसानों के खिलाफ ऐसा दुःसाहस न कर पाए।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि किसान विरोधी मोदी सरकार तीन क्रूर काले कृषि अध्यादेश आज ही के दिन 5 जून, 2020 को लेकर आई थी। मोदी जी कोरोना महामारी की आपदा के समय वे इन काले कानूनों से अपनी उद्योगपति मित्रों के लिये अवसर लिख रहे हैं।
मोदी जी ने इन किसान विरोधी कानूनों से 25 लाख करोड़ सालाना के कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने चंद पूँजीपति दोस्तों के लिए ‘अवसर’ लिखा और 62 करोड़ किसानों के हिस्से में दुख और परेशानी लिख दी।
इन काले कानूनों में भाजपा सरकार ने अपने पूँजीपति दोस्तों के लिए अनाज का भंडारण – जमाखोरी – कालाबाजारी करने की कानूनी छूट लिख दी और किसानों के हिस्से में लाठीचार्ज, पानी की बौछार और आँसू गैस के गोलों की ‘प्रताड़ना’ लिख दी।
इन तीनों काले कानूनों से मोदी जी ने अपने पूँजीपति दोस्तों के लिए मनमाने दामों पर फसलों को खरीदने का ‘इनाम’ लिख दिया और किसान भाइयों के भविष्य को रौंद कर अनाज मंडी और समर्थन मूल्य की व्यवस्था की समाप्ति का ‘फरमान’ लिख दिया।
इन काले कानूनों से मोदी सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अनैतिक प्रावधानों के माध्यम से अन्नदाता भाईयों को चंद पूँजीपतियों का ‘बंधुआ मज़दूर’ बनाना चाहती है। 2014 में बनी, मोदी सरकार को चंद पूँजीपतियों ने सत्ता का झूला झुलाया था, वो आज किसानों को बर्बाद और तबाह कर उनका कर्ज अदा कर रही है।
मोदी सरकार के किसान विरोधी चरित्र पर तीखा हमला करते हुये पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि
मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही 2014 में अध्यादेश के माध्यम से किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश की।
2015 में सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दे दिया कि किसानों को लागत + 50 प्रतिशत मुनाफा कभी भी समर्थन मूल्य के तौर पर नहीं दिया जा सकता।
खरीफ 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए, जिससे चंद बीमा कंपनियों ने 26,000 करोड़ रु. का मुनाफा कमाया।
अपने पूंजीपती मित्रों का तो लगभग दस लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया पर किसान की कर्जमाफी के नाम पर मुंह मोड़ लिया।
रही सही जो कसर बची थी, वो डीज़ल पर 820 प्रतिशत एक्साईज़ ड्यूटी बढ़ा तथा खेती पर टैक्स लगा पूरी कर दी।
73 साल के इतिहास में देश में पहली बार खाद पर 5 प्रतिशत, कीटनाशक दवाई पर 18 प्रतिशत, ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी टैक्स लगा डाला।
मोदी सरकार के किसान विरोधी चरित्र का सिलसिलेवार विवरण जारी करते हुये पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि अब मोदी सरकार किसानों के खिलाफ इतनी कार्यवाहियों से ही बाज नहीं आई। 5 जून, 2020 को तीन काले कानूनों के माध्यम से किसानों की आजीविका पर फिर से डाका डालने की साजिश रची है जो नाकाम होकर रहेगी।
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