नईदिल्ली। जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का 75 साल की उम्र में गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर एंबुलेंस में अस्पताल से रवाना हो गया है। आज उनका पार्थिव शरीर छतरपुर में स्थित 5 वेस्टर्न (डीएलएफ) आवास पर दर्शन के लिए रखा जाएगा। शरद यादव के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अन्य बड़े नेताओं ने शोक जताया है।
शरद यादव 70 के दशक में कांग्रेस विरोधी लहर में राजनीति में ऊपर उठे और दशकों तक प्रमुख विपक्षी चेहरे के तौर पर बने रहे। उन्होंने लोकदल और जनता पार्टी के जरिए करियर को आगे बढ़ाया। शरद यादव ने जयप्रकाश नारायण से लेकर, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी लंबे समय तक राजनीति की। शरद यादव कुल सात बार लोकसभा सांसद चुने गए और तीन बार राज्यसभा सांसद बने। इस दौरान वे केंद्र में वीपी सिंह की सरकार से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे।
शरद यादव 1989-90 में टेक्सटाइल और फूड मंत्री रहे। उसके बाद 13 अक्टूबर 1999 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। 2001 में वे केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बने। एक जुलाई 2002 से 15 मई 2004 तक केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री भी बनाए गए। वे समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे। उन्हीं से प्रेरित होकर शरद यादव ने कई राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया। आपातकाल के दौरान MISA के तहत 1969-70, 1972, और 1975 में वे हिरासत में ले लिए गए।
शरद यादव ओबीसी की राजनीति के बड़े नेता थे। उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने में भी अहम भूमिका निभाई। शरद यादव ने एमपी, यूपी के बाद संसदीय राजनीति का सफर बिहार से शुरू किया। वे बिहार के मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ा और 1991, 1996, 1999 और 2009 में इस सीट से चुनाव जीते। इस सीट से उन्हें 4 बार हार का सामना भी करना पड़ा। शरद ने 1999 में लालू यादव को हराकर सभी को चौंकाया था।