मणिपुर की बिंदिया रानी और उनकी मां की आंखों में इस वक्त खुशी के आंसू हैं। 55 किलो में बिंदिया को मिला रजत उनकी जिंदगी बदलने वाला है। यह वह खुद जानती हैं। बिंदिया को बड़ा करने के लिए उनकी मां को सब्जी बेचनी पड़ी। बिंदिया कहती हैं कि उन्हें पदक मिला है। अब वह मां को सब्जी नहीं बेचने देंगी। यही नहीं कंपटीशन में जाने से पहले मीरा उनके पास आईं और अपना स्वर्ण उनके हाथ में रख दिया। वह बोलीं तुम्हें भी यही स्वर्ण लेकर आना है। हालांकि बिंदिया सिर्फ एक किलो से स्वर्ण जीतने से चूक गईं।बिंदिया रानी के अंतरराष्ट्रीय कॅरिअर में यह पहला मौका था, जब उन्होंने एक लिफ्ट से दूसरी लिफ्ट में सीधे पांच किलो की बढ़ोतरी कर दी। बिंदिया और कोच विजय शर्मा के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था। पहली 111 किलो की क्लीन एंड जर्क पास करने के बाद उनकी 114 किलो की दूसरी लिफ्ट खराब हो गई। अब तीसरी लिफ्ट में बिंदिया अगर 116 किलो उठाने का प्रयास नहीं करतीं तो वह पदक से भी चूक सकती थीं लेकिन बिंदिया ने यह लिफ्ट उठाकर रजत जीत लिया।
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