वाशिंगटन । वैज्ञानिकों ने कछुओं की विशालकाय पुरानी प्रजाति को दोबारा खोजने का दावा किया गया है। फर्नांडीना आइलैंड गैलापागोस विशाल कछुए जिन्हें ‘फेंटास्टीक जाइंट टारटोइस’ भी कहते हैं। अभी तक इस कछुए को 1906 में एक वैज्ञानिक अभियान के दौरान इकट्ठा किए गए एक नमूने के रूप में ही जाना जाता था। लेकिन 2019 में फर्नांडीना द्वीप पर फर्नांडा नाम की एक मादा कछुए को घूमते देखा गया था।
जानकारी के अनुसार प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 116 साल पुराने नमूनों के साथ फर्नांडा के डीएनए का मिलान किया। शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि दोनों चेलोनोइडिस फैंटास्टिकस कछुए ही हैं और आनुवंशिक रूप से गैलापागोस विशाल कछुए की अन्य सभी प्रजातियों से अलग हैं। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में जूलॉजी के प्रोफेसर और गैलापागोस के विशेषज्ञ पीटर ग्रांट ने कहा, ‘कई साल से यह समझा जा रहा था कि 1906 में इकट्ठा किए गए मूल नमूने द्वीप से विलुप्त हो गए थे। लेकिन अब यह उन गिने-चुने लोगों में से एक हैं जो एक सदी के पहले भी जीवित थे। फर्नांडीना द्वीप गैलापागोस द्वीप समूह के पश्चिमी हिस्से में एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जिसे चार्ल्स डार्विन ने 1835 में देखा था। 1906 की खोज के बाद फर्नांडीना द्वीप के कछुओं के जीवित होने बेहद मामूली सबूत ही मिले थे। जैसे 1964 में द्वीप के पश्चिमी हिस्से में 18 कवच देखे गए।
2000 के दशक की शुरुआत में एक विमान से अन्य कवचों के देखे जाने की भी सूचना मिली थी। इसके बाद 2014 में एक और संभावित कवच देखा गया था। फर्नांडा की खोज फरवरी 2019 में की गई थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उसकी उम्र 50 साल है। अनुमान था कि कछुए की यह प्रजाति करीब एक शताब्दी पहले ही विलुप्त हो गई थी लेकिन ये जीवित और बेहद अच्छी स्थिति में एक द्वीप पर पाए गए हैं।
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