नई दिल्ली । पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए झटके के रूप में आए, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी संभावनाओं को फिर से जीवित करने की फिराक में थी। भाजपा विरोधी राजनीति के आधार पर कांग्रेस आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से उभरती चुनौती को खत्म के लिए अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन निराशा हाथ लगी। कांग्रेस उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में ‘एंटी-इनकंबेंसी’ के राइट साइड में थी, क्योंकि वह इन राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रही। चुनावी रूप से अहम उत्तर प्रदेश में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ता संघर्ष करते भी नजर आए। कांग्रेस नेताओं ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, जिन्हें आखिरकार केंद्र ने निरस्त कर दिया गया। कांग्रेस यूपी में बढ़त बनाने की बजाय ऐतिहासिक निचले स्तर पर सिमट गई, जिससे इसके पुनरुद्धार का कार्य असंभव नहीं तो और भी कठिन हो गया। पंजाब में आप का उदय कांग्रेस के लिए एक और चिंताजनक संकेत है। कांग्रेस को एक ऐसी प्रतियोगिता में खुद को पुनर्जीवित करना मुश्किल लगता है जिसमें मजबूत स्थानीय खिलाड़ी हैं। अब पंजाब में आम आदमी पार्टी की व्यापक जीत और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सहित कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के हारने से पार्टी आलाकमान की चुनौती बढ़ गई है। पंजाब में अपनी सफलता के साथ ही आप नेता पार्टी को ‘राष्ट्रीय शक्ति’ के रूप में देख रहे हैं और इसके कांग्रेस की जगह लेने की बात कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भविष्य में भाजपा के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी होंगे। आप नेता राघव चड्ढा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर कहा कि अगर लोग मौका दें तो वह 2024 में प्रधानमंत्री की बड़ी भूमिका में होंगे। तृणमूल कांग्रेस के नेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस भूमिका में देखना चाहते हैं और उन्होंने भाजपा के खिलाफ व्यापक विपक्षी एकता की जरूरत की बात कही है। उन्होंने शिवसेना और एनसीपी के नेताओं से मुलाकात की है और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ भी बातचीत की है। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ विपक्ष में मंथन भी दिखाई देता है। आप और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही भाजपा के प्रमुख चुनौती के रूप में देखे जाने के इच्छुक हैं, एक ऐसी भूमिका जिसे कांग्रेस अब तक स्वीकार करती रही है।
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