वाराणसी । अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के कंधे पर 2017 में भाजपा द्वारा जीती गई नौ सीटों को सुरक्षित फिर से एनडीए के खाते में लाने की बड़ी चुनौती है। सीटों के बंटवारे के तहत भाजपा ने अद (एस) को जो दस नई सीटें दी हैं उनमें से नौ सीटें ऐसी हैं जहां पर मौजूदा विधायक भाजपा के हैं। एकमात्र रामपुर जिले की स्वार सीट ऐसी है जिस पर 2017 में भाजपा को सफलता नहीं मिली थी। अपना दल एस को भाजपा गठबंधन के तहत बछरांवा, मऊरानीपुर, घाटमपुर, बिंदकी, चायल, बारा, नानपारा, कायमगंज और मानिकपुर और स्वार सीट पहली बार मिली है। 2017 में इन सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। जिसमें से स्वार को छोड़ शेष नौ सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी। इसके बावजूद भाजपा ने अपनी इन मौजूदा सीटों को बड़े विश्वास के साथ सहयोगी अद (एस) को दिया है। इन सीटों का जातीय समीकरण अद (एस) के अनुकूल है। वहीं भाजपा ने अद (एस) द्वारा 2017 में जीती गई नौ सीटों में से चार सीटों को अभी तक नहीं दिया है। इनमें से जहानाबाद सीट की जगह बिंदकी देकर एक सीट की भरपाई भाजपा कर चुकी है। वाराणसी की सेवापुरी, सोनभद्र की दुद्धी और सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ सीट जो अद (एस) की जीती हुई सीट है, इन पर फैसला लंबित है। चर्चा है कि भाजपा इन सीटों को अपने पास रखते हुए इसके स्थान पर दूसरी सीटें अद (एस) को दे सकती है। इस लिहाज से अनुप्रिया को अब 2017 की जीती हुई अपनी सीटों में से सोरांव, छानबे, मड़ियाहूं, प्रतापगढ़ और विश्वनाथगंज पर फिर से जीत हासिल करने की चुनौती होगी। इसके अलावा 2017 में कम अंतर से हारी सीट प्रतापपुर पर फिर से ताकत दिखाने का मौका अद (एस) को मिला है। गठबंधन के तहत मिली सीटों में अद (एस) अब तक स्वार, घाटमपुर, कायमगंज, नानपारा, मऊरानीपुर, बिंदकी, बछरावां, चायल, बारा, मानिकपुर और सोरांव सीट पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इनमें से स्वार सीट को छोड़ अन्य सभी सीटों पर 2017 में अद (एस) और भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीते थे।