नई दिल्ली. कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से एक बार फिर पूरी दुनिया चिंता में आ गई है. जब कई देशों में कोविड के मामले अब कम होने शुरू हो गए थे, तब फिर एक नए वैरिएंट ने हर किसी को डरा दिया है. ये नया वैरिएंट साउथ अफ्रीका में पाया गया है. कहा जा रहा है कि ये काफी तेजी से फैलता है और इसका म्यूटेशन 30 से अधिक बार हो चुका है. इस वैरिएंट को B.1.1.529 नाम दिया गया है.
इस वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया सतर्क है. भारत सरकार ने भी सभी राज्यों को मुस्तैद रहने के लिए कहा है. गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड के नए वैरिएंट से प्रभावित मुल्कों से आ रहे लोगों की स्क्रीनिंग के निर्देश जारी किए. भारत आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कोरोना जांच कराई जाएगी. हाल ही में वीजा पाबंदी में ढील और इंटरनैशल ट्रैवल में छूट दी गई थी, ऐसे में इसको लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है. रैपिड टेस्टिंग पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है.
लगातार म्यूटेट हो रहे इस वैरिएंट ने WHO के साथ वैज्ञानिकों की भी टेंशन बढ़ा दी है. 30 से अधिक बार म्यूटेशन यानी रूप बदलना सबसे खतरे की बात है. दूसरी लहर में डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट इसी तरह म्यूटेट होकर जानलेवा साबित हुआ था. सबसे चिंता की बात यह है कि मौजूदा वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ कारगर है या नहीं, इसकी स्टडी की जा रही है. इसमें वक्त लग सकता है. ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि तब तक यह वैरिएंट कहर ना बरपाना शुरू कर दे.
क्या है केंद्र सरकार की तैयारी?
बताया गया है कि जो भी लोग इन देशों से भारत आएंगे, उन्हें एक सख्त स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ेगा. ये सब इसलिए होगा क्योंकि अफ्रीका के उन देशों को ‘एट रिस्क’ वाली कैटेगरी में रखे जाने की तैयारी है. सरकार की इस पूरी सतर्कता के पीछे वजह भी वाजिब है. दूसरी लहर में कोरोना वायरस ने भारत में जमकर कहर मचाया था और कोरोना डेल्टा वैरिएंट को इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार माना गया. यूरोप और बाकी देशों में कहर बरपा रहे डेल्टा वैरिएंट के डर से कई भारतीय अपने मुल्क लौट आए थे. एयरपोर्ट पर कहीं ना कहीं टेस्टिंग में चूक हुई थी और फिर धीरे-धीरे इस वैरिएंट ने गदर काटा था. ऐसे में इस बार केंद्र सरकार विशेष सतर्कता बरत रही है.
WHO ने बुलाई बड़ी बैठक
इस बीच WHO की Technical Advisory Group ने अहम बैठक बुलाई है. उस बैठक में इस नए वैरिएंट को लेकर मंथन होने वाला है. WHO का कहना है कि इस वैरिएंट पर अभी और रिसर्च करने की जरूरत है. सबसे जरूरी है कि हम अधिक से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाएं, ताकि इससे मुकाबला किया जा सके.
इसके अलावा ये भी बताया गया है कि कोरोना के इस वैरिएंट को भी एक ग्रीक नाम दिया जाएगा. जैसे डेल्टा, एल्फा नाम रखे गए हैं, साउथ अफ्रीका वैरिएंट को भी एक नाम दिया जाएगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैरिएंट में मल्टी म्यूटेशंस की ताकत है, इसलिए यह चिंता की बात है. अब इसकी भी जांच हो रही है कि कोविड वैक्सीन इस वैरिएंट के खिलाफ कितना कारगर है.
यह है चिंता की सबसे बड़ी बात
वैसे इस नए वैरिएंट को लेकर ज्यादा चिंता इसलिए भी है क्योंकि अभी तक ये नहीं पता है कि ये कितनी तेजी से फैल सकता है. जो जानकारी सामने आई है वो सिर्फ इस वैरिएंट के म्यूटेशन को लेकर है. KRISP की डायरेक्टर De Oliveira बताती हैं कि इस नए वैरिएंट के कई असाधारण म्यूटेशन देखने को मिले हैं. उनके मुताबिक अब तक 30 से ज्यादा म्यूटेशन दिख चुके हैं. दूसरे वैरिएंट की तुलना मे ये ज्यादा चिंता बढ़ाने वाला दिख रहा है.
डायरेक्टर ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अभी भी वैक्सीन ही कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है. ये नहीं पता है कि वैक्सीन नए वैरिएंट पर कितनी असरदार है, लेकिन अभी दुनिया के सामने ज्यादा विकल्प नहीं हैं. इस वैरिएंट के खिलाफ दूसरे मुल्कों ने भी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.
ब्रिटेन और इजरायल ने उठाए ये कदम
ब्रिटेन और इजरायल ने साउथ अफ्रीका, बोत्सवाना और चार अन्य अफ्रीकी देशों से फ्लाइट पर पाबंदी लगा दी है. ऑस्ट्रेलिया ने भी इन देशों से आ रहे यात्रियों को लेकर नियम कड़े कर दिए हैं