किसानों के लिए कृषि कानून निरस्त करने का क्या है मतलब

by sadmin

नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने तीन विवादास्‍पद कृषि कानूनों (Agriculture Law) को रद्द करने की घोषणा कर दी है. इन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) के किसान (Farmers) पिछले एक साथ से अधिक समय तक दिल्‍ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. आइए एक नजर डालते हैं कि सरकार ने इन कानूनों को क्‍यों और कैसे आगे बढ़ाया. सरकार के इस कदम से किसान भले ही खुश हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कुछ किसान उनकी सरकार की ओर से लाए गए इन कानूनों की ताकत नहीं समझ सके.

आइए जानते हैं मोदी सरकार ने किन तीन कृषि कानून को वापस लिया :-
पहला कृषि कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020. इस कानून के आने के बाद किसान अपनी फसल को मनचाही जगह पर बेच सकते थे. किसानों को दूसरे राज्‍यों में भी अपनी फसल बेचने की छूट थी. कोई भी लाइसेंसधारक व्यापारी किसानों से परस्पर सहमत कीमतों पर उपज खरीद सकता था.
दूसरा कृषि कानून – किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 था. यह कानून किसानों को अनुबंध खेती करने और अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से विपणन करने की अनुमति देने के लिए था. इसके तहत फसल खराब होने पर नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों द्वारा की जाती.
तीसरा कानून- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम. इस कानून के तहत असाधारण स्थितियों को छोड़कर व्यापार के लिए खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल और प्याज जैसी वस्तुओं से स्टॉक लिमिट हटा दी गई थी.
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के दौरान अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत इन कानूनों की घोषणा की थी. 3 जून, 2020 कोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कानूनों को मंजूरी दी, फिर इस पर अध्यादेशों लाया गया. दो दिन बाद, राष्ट्रपति ने अध्यादेशों को मंजूरी दी. संसद के मानसून सत्र के दौरान, सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को पारित कर दिया.

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