रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में तीन साल पहले वरिष्ठ नागरिकों के मनोरंजन के लिए बनाई ‘बापू की कुटिया’ में अव्यवस्थाओं का अंबार है। आलम यह है कि यहां पर उनकी सुविधाओं के लिए जो भी सामग्री भेजी गई थी वह मौके से ही गायब हो चुकी है।शहर के कलेक्ट्रेट परिसर, मोतीबाग, अनुपम गार्डन, पंकज गार्डन समेत अन्य जगहों पर अव्यवस्थाओं का अंबार देखने को मिला। साल 2018 में भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी ने समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत राजधानी में 50 बापू की कुटिया बनाने की कार्ययोजना तैयार की थी। इसके बाद कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद 50 में से केवल 22 ही बापू की कुटिया तैयार हो पाई।
ये सुविधाएं देनी थी बुजुर्गों को
बापू की कुटिया में बुजुर्गों के लिए एलईडी टीवी, समाचार पत्र, रेडियो, आराम दायक कुर्सी, शतरंज, कैरम आदि की सुविधा देनी थी। इस कुटिया को सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे बुजुर्गों के लिए खोलना था। बाकी समय यहां योगा, आर्ट, ड्राइंग, डांस, जुंबा, पेंटिंग आदि क्लासेस, संगोष्ठी, किटी व चिल्ड्रेन पार्टी, सम्मान समारोह आदि कराने थे, लेकिन नगर निगम प्रशासन और समाज कल्याण विभाग की लचर व्यवस्था से बापू की कुटिया दम तोड़ रही है। जरूरी बात यह है कि बापू की कुटिया के संचालन और संधारण का कार्य तीन वर्षों के लिए निजी संस्था देना था, लेकिन तस्वीर देखकर सब उलट है। इसका रख-रखाव नहीं हो पा रहा है।