काबुल: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और राष्ट्रपति अशरफ गनी के शासन के घुटने टेकने के बीच अमेरिका ने राजधानी काबुल स्थिति अपने दूतावास को पूरी तरह से खाली कर दिया है. हालांकि दूतावास के कार्यक्रम सभी जरूरी काम काज काबुल एयरपोर्ट से किए जाएंगे. वहां अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों ने अपने दूतावास बनाए हैं. अफगानिस्तान में दिन पर दिन बदतर होते हालातों के बीच अमेरिका अपने नागरिकों, अपने मित्रों और सहयोगियों की सुरक्षित वापसी के लिए काबुल हवाईअड्डे पर 6,000 सैनिकों को तैनात करेगा.
मानवीय जीवन की जिम्मेदारी लें शक्तिशाली पदों पर आसीन लोग- UN
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने महत्वपूर्ण सहयोगी देशों के अपने समकक्षों से बात की. हालांकि इनमें भारत शामिल नहीं था. अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व में 60 से अधिक देशों ने संयुक्त बयान जारी किया है जिसमें अफगानिस्तान में शक्तिशाली पदों पर आसीन लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे मानवीय जीवन और संपत्ति की रक्षा की जिम्मेदारी और जवाबदेही लें और सुरक्षा और असैन्य व्यवस्था की बहाली के लिए तुरंत कदम उठाएं.
अगले 48 घंटों में तैनात होंगे 6000 सुरक्षाकर्मी
विदेश विभाग और रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘फिलहाल हम हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की सुरक्षा के लिए अनेक कदम उठा रहे हैं ताकि सैन्य और असैन्य विमानों के जरिए अमेरिकी लोग और उनके सहयोगी अफगानिस्तान से सुरक्षित निकल सकें.’’ इसमें कहा गया, ‘‘अगले 48 घंटों में, करीब 6000 सुरक्षाकर्मियों को वहां तैनात किया जाएगा. उनका मिशन लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने में मदद देना होगा और वे हवाई यातायात नियंत्रण को भी अपने कब्जे में लेंगे. कल और आने वाले दिनों में हम देश से हजारों अमेरिकी नागरिकों, काबुल में अमेरिकी मिशन पर तैनात स्थानीय लोगों और उनके परिवारों को निकालेंगे.
बीते दो हफ्तों में विशेष वीजा धारक करीब 2,000 लोग काबुल से अमेरिका पहुंच चुके हैं. विदेश विभाग की ओर से कहा गया कि ब्लिंकन ने अफगानिस्तान में हालात तथा सुरक्षा संबंधी विषय पर ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी और नॉर्वे में अपने समकक्षों से बात की. विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि अमेरिकी दूतावास के कर्मियों को सुरक्षित निकालने का काम पूरा हो चुका है.