दक्षिणापथ. देहराहून
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है। इसी के साथ उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है। बुधवार को अचानक दिल्ली पहुंचे तीरथ सिंह रावत की बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफे की अटकलें जोरों पर थीं। शुक्रवार देर शाम उन्होंने जेपी नड्डा के सामने इस्तीफे की पेशकश कर दी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वह ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते चार महीने पहले ही सीएम बने तीरथ रावत को इस्तीफा देना पड़ गया?
10 सितंबर तक बनना था विधानसभा का सदस्य
दरअसल पौड़ी से सांसद तीरथ सिंह रावत 10 मार्च को मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना था। राज्य में विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी खाली हैं जहां उपचुनाव होना है। अटकलें थीं कि रावत गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अगले साल फरवरी-मार्च में ही विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह मुश्किल माना जा रहा था कि निर्वाचन आयोग उपचुनाव कराए।
तीरथ के इस्तीफे के बाद साफ है कि राज्य में खाली दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव नहीं होगा। अब तीरथ सिंह रावत की जगह किसी ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी जाएगी जो विधायक हो। बीजेपी विधायक दल अगले दो दिनों के अंदर नया नाम तय कर देगा।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि पार्टी विधायक दल के नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को प्रदेश पार्टी मुख्यालय में विधानमंडल दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। शनिवार को तीन बजे बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे।
111 दिन ही रह पाए सीएम
पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह महीने के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था लेकिन मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में यह संवैधानिक संकट आ गया कि जब विधानसभा चुनावों में एक साल से कम का समय बचा हो तो ऐसे में सामान्यत: उपचुनाव नहीं कराए जाते।
वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाई। यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नही लड़ा, मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला।
20 साल में सीएम के 9 चेहरे
साल 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखंड 20 साल पूरे कर चुका है। दिलचस्प है कि इन बीस सालों में राज्य में सीएम के 9 चेहरे नजर आए। इनके नाम हैं- नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, एनडी तिवारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल, विजय बहुगुणा, हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत।