गुलशन कुमार मर्डर केस में बरकरार रहेगी मर्चेंट की सजा, मंदिर के बाहर दागी गई थीं 16 गोलियां

by sadmin

दक्षिणापथ. टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोषी रऊफ मर्चेंट की सजा को बरकरार रखा है। जस्टिस जाधव और बोरकर की बेंच ने इस केस का फैसला सुनाया। गुलशन कुमार की हत्या से जुड़ी कुल चार याचिकाएं बॉम्बे हाई कोर्ट में आई थीं। इसमें तीन अपील रऊफ मर्चेंट, राकेश चंचला पिन्नम और राकेश खाओकर को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ थीं। मर्चेंट को गुलशन कुमार हत्या के केस में दोषी ठहराया था, अब कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा है।

वहीं अन्य याचिका महाराष्ट्र सरकार ने दायर की थी यह रमेश तौरानी को बरी करने के खिलाफ थी। हालांकि कोर्ट ने तौरानी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज कर दिया है। उनपर हत्या के लिए उकसाने का आरोप था।

गुलशन कुमार की 12 अगस्त 1997 को मुंबई में एक मंदिर के बाहर गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। उस वक्त वह पूजा कर मंदिर से बाहर आ रहे थे। तभी अचानक बाइक सवारों ने उनपर ताबड़तोड़ 16 गोलियां दाग दीं। मौके पर ही गुलशन कुमार की मौत हो गई थी। उनकी हत्या की खबर फैलते ही पूरे बॉलीवुड में सनसनी फैल गई थी।

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और अबू सलेम का था हाथ
80 के दशक में उन्होंने टी सीरीज की स्थापना की और 90 के दशक तक वो कैसेट किंग के नाम से मशहूर हो चुके थे। टी सीरीज करोड़ों की कंपनी बन चुकी थी। गुलशन कुमार की हत्या में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और अबू सलेम का नाम लिया जाता है।

बता दें, मर्चेंट को गुलशन कुमार हत्या के केस में कोर्ट ने दोषी ठहराया था। अप्रैल 2002 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2009 में उसे बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल मिली थी। इसी दौरान वह बांग्लादेश भाग गया था। हालांकि बाद में बांग्लादेश पुलिस ने उसे फर्जी पासपोर्ट मामले में अरेस्ट किया। मर्चेंट को बांग्लादेश में अरेस्ट करने के बाद पहले गाजीपुर के काशिमपुर जेल में रखा गया।

गुलशन कुमार की सफलता की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। जिन हालातों में संघर्ष कर गुलशन कुमार ने सफलता की सीढ़ियों को छुआ, वह आज के दौर में किसी और के लिए सोच पाना भी मुश्किल है।एक समय में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला शख्स बचपन में अपने पिता के साथ जूस की दुकान पर हाथ बंटाता था और यहीं से गुलशन का बिजनेस में इंट्रेस्ट हो गया और इस कमाई से उन्होंने कई अच्छे काम किए। गुलशन कुमार ने अपने धन का एक हिस्सा समाज सेवा के लिए दान करके एक मिसाल कायम की।

80 के दशक में टी-सीरीज नाम की एक म्यूजिक कंपनी की नींव रखी गई। जो आगे चलकर देश की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनी बनी। महज 10 साल में ही गुलशन कुमार ने टी सीरिज के बिजनेस को 350 मिलियन तक पहुंचाया था। उन्होंने कई गायकों को लॉन्च किया। और तभी से वे अंडरवर्ल्ड की आंखों में खटकने लगे।

मुंबई में जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर उनपर 16 गोलियां चलाई गईं। देखते ही देखते उनकी जान चली गई। जानकारी के मुताबिक अबु सलेम ने गुलशन कुमार को मारने की जिम्मेदारी दाऊद मर्चेंट और विनोद जगताप नाम के शार्प शूटरों को दी थी। 9 जनवरी 2001 को विनोद जगताप ने कुबूल किया कि उसने ही गुलशन कुमार को गोली मारी।

हुसैन जैदी ने अपनी किताब My Name is Abu Salem में लिखा था कि डॉन अबु सलेम ने गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। हालांकि गुलशन कुमार ने इसे देने से साफ इनकार कर दिया था। मुंबई पुलिस ने अपनी जांच के बाद कहा था कि हत्या के लिए फिल्मी हस्तियां और माफिया के लोग जिम्मेदार थे।

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