दक्षिणापथ, दुर्ग। छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूल के शिक्षिकाओं का नवगठित नवाचारी सखियाँ के तत्वाधान में वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें शाला प्रवेशोत्सव तथा आमाराइट प्रोजेक्ट उत्सव को वर्चुअल रुप मे मनाया गया। यह वेबीनार आमाराइट प्रणेता अशोक नारायण बंजारा के मुख्य आतिथ्य मे संपन्न हुआ। वेबीनार में पांच संभाग से प्राचार्य,शिक्षिकाएं, आमाराइटियन विद्यार्थी,पालक व शिक्षा सारथी शामिल हुए। वेबीनार के आरम्भ में बिलासपुर की शिक्षा सारथी छबिला यादव ने सरस्वती वंदना तथा सरगुजा से शिक्षिका स्नेहलता टोप्पो ने राजकीय गीत अरपा पैरी के धार प्रस्तुत किया। दुर्ग जोन की शिक्षिका प्रज्ञा सिंह ने श्री बंजारा को सहज, कुशल, प्रशासक, के साथ कवि, लेखक, गायक के साथ नवाचार का पर्याय बताया। सभी नवाचारी शिक्षकों को मोटिवेट करते हुए उन्होंने अनुभव साझा किया। उन्होने बताया कि शासकीय शिक्षकों ने इस कोरोना काल में अपना आत्मीय योगदान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जिम्मेदारी मिलने से ही इंसान बनता है। आमाराइट प्रोजेक्ट के बारे में उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकाल में बिना किताब को हाथ लगाए विद्यार्थी द्वारा पालक -शिक्षक – समुदाय से जुड़कर कौशल और साहस के खेल खेल मे सीखना ही आमाराइट का उद्देश्य है। आमाराइट पार्ट- 2 को आगे अकादमिक गतिविधि से जोडऩे उन्होंने सभी से आव्हान भी किया और कहा कि बच्चों के हित मे काम करने का प्रतिफल सदैव अच्छा होता है, प्राण पियारा छत्तीसगढ बगिया सही सजाना है,चले बिहानिया नागर धर संझा कंप्यूटर चलाना हे, अपनी रचना की इस को पंक्ति साझा करते हुए उन्होंने अपना भाव अभिव्यक्त किया। बिलासपुर संभाग की श्रीमती आशा उज्जैनी द्वारा पावर प्वाइंट प्रेसेनटेशन के माध्यम से मोहल्ला क्लास मे बच्चो के पांवों के निशान से शाला प्रवेश दर्शाया गया व सभी संभागों के शिक्षकों व बच्चों द्वारा आमाराइट प्रोजेक्ट पर अभिनव कार्य की विस्तृत जानकारी साझा किया गया। गरियाबंद जिले की शिक्षिका श्रीमती गीता शरणागत ने ग्रुप का उद्देश्य बताया कि शिक्षकों और विद्यार्थियों मे अन्तर्निहित क्षमता को उभारना तथा शैक्षिक नवाचारी योजनाओं के लिए प्रोत्साहन प्रयास करना ही ग्रुप का मुख्य उदेश्य है। इसके पश्चात दुर्ग संभाग से निजी विद्यालय से शासकीय स्कूल हनौदा मे प्रवेश लिए बालक रौनक ने आमाराइट प्रोजेक्ट के उदाहरण से सरकारी स्कूल की विशेषता बताई। बेमेतरा जिले से नवाचारी शिक्षिका ज्योति बनाफर की छात्रा केशु साहू ने आमाराइट के बारे में रोचक बात बताई, कि उनके गांव का नक्शा देखने पर पता चला कि वाकई में मटके की आकृति होने के कारण ही गांव का नाम ही मटका पड़ा है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेजबहार से गुंजा, प्रार्थना और रमा राठौर अपने पालको के साथ श्री बंजारा से विचार साझा किया। प्रार्थना ने आमाराइट ट्री – खेल से भाजियों नाम बताया व आमा गर्मी में राइट हे, तभे आमाराइट हे, उसके इस विश्लेषण से सभी हंस पडे। सरगुजा संभाग की कक्षा – 2 व 4 की संजना और रंजना ने मासूमियत के साथ नाना और दादा गांव की जानकारी दी। उनको क्या-क्या नयी चीजें व जानकारी सीखने मिली इसके बारे में अपना अपना अनुभव साझा किया गया। रायपुर संभाग की व्याख्याता श्रीमती मंजूषा तिवारी ने जिला शिक्षा अधिकारी के आभार अभिवादन में कहा कि आमाराइट की चिंगारी रायपुर से होती हुई प्रदेश के साथ साथ देश विदेश में आलोकित हो रही हैं। डीईओ सर के आशीर्वचन और नवाचारी सखियो के इस त्वरित प्रयास से वेबीनार का समापन हुआ। इसमें करीबन 70 प्रतिभागी शामिल हुए। रायपुर संभाग की व्याख्याता श्रीमती अनुरिमा शर्मा द्वारा वेबिनार मे वर्चुवल मंच संचालन किया गया। दुर्ग संभाग के नवाचारी शिक्षिकाएं दुर्ग जिले से के. शारदा, नंदा देशमुख, खेमलता गोस्वामी, समीक्षा सिंह एवं राजनांदगांव जिले से निहारिका झा, सुनीता ठाकुर, प्रीति शर्मा, बालोद जिले से प्रतिभा त्रिपाठी, बेमेतरा जिले से ज्योति बनाफर ने शामिल होकर अपने-अपने नवाचार को साझा किया।
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