भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के लिए छह दशक से लौह अयस्क की आपूर्ति कर रहे दल्ली राजहरा के खत्म होते भंडारों के बीच अब रावघाट पर भिलाई का भविष्य टिका हुआ है। लंबी जद्दोजहद के बाद रावघाट में सारी प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और इस वर्ष 5 फरवरी से रावघाट के अंजरेल ब्लॉक से औपचारिक खनन भी शुरू हो गया है। स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की चेयरमैन सोमा मंडल 11 जून को एक दिवसीय प्रवास पर खनिज नगरी दल्ली राजहरा पहुंच रही है।
चेयरमैन यहां राजहरा के साथ-साथ रावघाट की खनन गतितिविधियां और उससे जुड़ी सुविधाओं की समीक्षा करेंगी। इस महत्वपूर्ण अवसर पर यह जानना दिलचस्प होगा कि आज बीएसपी को जिस सहजता से रावघाट में खनन का अवसर मिला है, उसके पीछे छत्तीसगढ़ के प्रख्यात खनन अधिवक्ता विनोद चावड़ा का अथक प्रयास महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ है। उल्लेखनीय है कि सन 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्देश पर उस वक्त के मध्यप्रदेश राज्य शासन ने अधिसूचना के माध्यम से रावघाट के समूचे लौह अयस्क भंडारों को भिलाई इस्पात संयंत्र जैसे सार्वजनिक उपक्रम के लिए सुरक्षित कर दिया था। कालांतर में राजहरा के खत्म होते लौह अयस्क भंडारों के परिणामस्वरूप भिलाई इस्पात संयंत्र ने 1985 में तत्कालीन मध्यप्रदेश राज्य शासन के समक्ष रावघाट के संपूर्ण लौह अयस्क भंडारों की विधिवत मांग शुरू कर दी थी।
लेकिन सन 2003-04 तक तत्कालीन छत्तीसगढ़ राज्य शासन, भिलाई इस्पात संयंत्र, स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड, केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय व खान मंत्रालय तत्कालीन अधिकारियों एवं संबंधित विभागीय मंत्रियों की सामूहिक अदूरदर्शिता के कारण रावघाट के बेशकीमती लौह अयस्क भंडारों को निजी इस्पात कंपनियों को कानूनन आबंटित किये जाने हेतु केन्द्र शासन द्वारा भी अनुमोदन प्रदान किया जा चुका था। जिसके परिणामस्वरूप आयरन ओर के अभाव में भिलाई इस्पात संयंत्र का भविश्य खतरे में पड़ चुका था।
ऐसे में सन 2004-05 में मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के ख्यातिनाम खनिजों के कानूनों के विधि विषेशज्ञ दुर्ग निवासी विनोद चावड़ा अधिवक्ता ने शासन एवं निजी कंपनियों के इस अनैतिक गठजोड़ को दस्तावेजी प्रमाणों सहित तत्कालीन छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष भूपेष बघेल के समक्ष उजागर करते हुये भिलाई इस्पात संयंत्र को बरबाद करने के इस षड़यंत्र को खत्म करने का आंदोलन प्रारंभ कर दिया गया।
जैसे-जैसे इस आंदोलन की आग दुर्ग-भिलाई से फैलते हुये छत्तीसगढ़ विधानसभा एवं संसद तक फैल गई तब तत्कालीन इस्पात राज्यमंत्री अखिलेश दास ने 18 जून 2006 को भिलाई आकर इस पूरे षड़यंत्र की सीबीआई जांच करवाने की घोषणा की। इसके बाद आनन-फानन में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार रावघाट के लौह अयस्क भंडारों को निजी कंपनियों को दिये जाने के अपने पूर्व निर्णय को पूरी तरह से पलटते हुये इन भंडारों को वापस भिलाई इस्पात संयंत्र को दिये जाने की अनुशंसा केन्द्र सरकार को भेज दी। इस प्रकार से प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं उनके मित्र तथा खनिज विषयों के सलाहकार विनोद चावड़ा एडव्होकेट के अथक प्रयासों से रावघाट के लौह अयस्क भंडार बीएसपी को वापस मिल गये।
अधिवक्ता विनोद चावड़ा के इस अनूठे योगदान को देखते हुए 2 फरवरी 2007 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के उपनेता भूपेश बघेल ने उन्हें “रावघाट के योद्धा” के रूप में सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किया। इसके बाद भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने 14 नवंबर 2010 को व्यक्तिगत श्रेणी में इकलौते “भिलाई मित्र” का सम्मान दिया है। भिलाई का भविष्य सुरक्षित रखने के इस अनूठे योगदान के चलते 3 मई 2018 को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी एवं छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने भी संयुक्त रूप से विनोद चावड़ को विधि के क्षेत्र में “सर्टिफिकेट आफ एक्सीलेंस” से रायपुर में सम्मानित किया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले वर्ष एक नवंबर 2020 को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर “बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान” से विनोद चावडा अधिवक्ता को राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया गया। वर्तमान में विनोद चावडा भिलाई इस्पात संयंत्र के खनन मामलों के सलाहकार भी है।