-स्व-सहायता समूह की महिलाओं से मुख्यमंत्री ने की बातचीत, बताया कि ग्रामीण विकास की योजनाओं ने उनके जीवन में लाया बदलाव
-चंदखुरी की समूह की महिलाओं ने बताया साढ़े तीन लाख रुपए लाभ अर्जित किया विभिन्न गतिविधियों से
दक्षिणापथ, दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपने इलाके की भौगोलिक जानकारी एवं लोगों से जुड़ाव एवं जीवंत संपर्क का आज बहुत अद्भुत उदाहरण दुर्ग जिले में 285 करोड़ रुपए के लोकार्पण एवं भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान हुआ। इस दौरान एक महिला श्रीमती गोदावरी कौशिक ने बताया कि वे फेकारी गाँव में रहती है और उनके समूह ने कल्याणी प्रजाति के बैंगन लगाने का कार्य शुरू किया है और इससे केवल दो एकड़ में डेढ़ लाख रुपए के बैंगन बेच चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने इस महिला से पूछा कि फेकारी में कहां रहती है। महिला ने बताया कि लोहार पारा में रहती हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजा पेड़ के पास घर है क्या। महिला ने कहा हां, इसके पास ही घर है। मुख्यमंत्री ने इस तरह के प्रयोग करने पर गोदावरी को और समूह की एक अन्य महिला श्रीमती दामिन साहू को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के नवाचार से ही आर्थिक तरक्की का रास्ता खुलता है।
सुगंधित चावल की खेती का निर्णय करने वालों से भी चर्चा की मुख्यमंत्री ने
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विभिन्न किसानों से चर्चा भी की। श्री ललित महिपाल ने चर्चा में बताया कि इस बार उन्होंने सुगंधित धान की खेती का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुगंधित चावल की खेती में जैविक खाद का उपयोग करिये तथा इसका रजिस्ट्रेशन भी कराईये। तीन चार साल बाद इस तरह की खेती करने पर सर्टिफिकेट मिलने से सुगंधित धान का रेट काफी ज्यादा मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि जैविक धान जो लोग उपजा रहे हैं उसका अच्छा रेट मिल रहा है। सुगंधित धान में यह और ज्यादा है। ग्राम उमरकोटी के दिवाकर गायकवाड़ ने बताया कि इस बार 2 हेक्टेयर में सुगंधित धान लगाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 15 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट भी क्रय किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक तरीके से सुगंधित धान लगाने से किसानों को भी अच्छा दाम मिलेगा और वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रहे किसानों को भी अच्छा बाजार मिल पाएगा। अजय शर्मा ने बताया कि इस साल उन्होंने सोयाबीन बोने का निर्णय लिया है। तेल के दाम काफी बढ़ रहे हैं। हम अगर सोयाबीन भी उपजाएंगे तो निश्चित ही इसके दाम नियंत्रित होंगे। तुलाराम साहू ने बताया कि इस बार उन्होंने मक्का लगाने का निर्णय किया है।
चंदखुरी की स्व-सहायता समूह ने बताया कैसे गोधन न्याय योजना ने बदली जिंदगी-
चंदखुरी की सिंधुजा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने 375 क्विंटल खाद का उत्पादन किया है। डिकंपोजर बनाया है। दीया बनाया है। समूह की सदस्य श्रीमती गीतांजलि बघेल ने बताया कि समूह ने अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से साढ़े तीन लाख रुपए का लाभ अर्जित किया है।
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