नई दिल्ली । देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइसेंज (आईआईएससी) बेंगलुरु ने घोषणा की है कि उसने नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत परम प्रवेगा नाम के सुपर कंप्यूटर को स्थापित किया है। यह सुपर कंप्यूटर देश में अब तक का सबसे ताकतवर सुपर कंप्यूटर है। आईआईएससी के मुताबिक देश के किसी शैक्षणिक संस्थान में इससे बड़ा सुपर कंप्यूटर नहीं है।
आईआईएससी के मुताबिक परम प्रवेगा सुपर कंप्यूटर की क्षमता 3.3 पेटाफ्लॉप्स की है। एक पेटाफ्लॉप्स एक क्वाड्रिलियन के बराबर होता है। यानी 10 पर 15 शून्य लगाने से जो संख्या आती है और एक पेटाफ्लॉप्स होता है। परम प्रवेगा इंटेल जियोन कास्केड लेक सीपीयू और नविडिया टेस्ला वी100 जीपीयू के विषम नोड्स का मिश्रण है। एटोज बुलसेक्वैना एक्सएच2000 सीरीज प्रणाली का उपयोग करके इस कंप्यूटर की 3.3 पेटाफ्लॉप्स की चरम सुपरकंप्यूटिंग क्षमता हासिल की जाती है। परम प्रवेगा में कंप्यूटर नोड्स के 11 डीसीएलसी रैक, मास्टर सर्विस नोड्स के दो सर्विस रैक और डीडीएन स्टोरेज के चार स्टोरेज रैक शामिल हैं।
आईआईएससी के मुताबिक परम प्रवेगा का हार्डवेयर एटॉस बुलसेक्वैना एक्सएच 2000 सीरीज का है। इसके सॉफ्टवेयर को सी-डैक ने उपलब्ध कराया है। यह सुपर कंप्यूटर मशीन उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) अनुप्रयोगों के विकास और निष्पादन के लिए प्रोग्राम डेवलपमेंट टूल्स, यूटिलिटीज और लाइब्रेरी की एक सीरीज को होस्ट कर सकती है। परम प्रवेगा में कंप्यूटिंग नोड्स का 11 डीसीएलसी रैक्स है। इसके अलावा दो सर्विस रैक और चार स्टोरेज रैक है। इसके नोड के कॉन्फ़िग्रेशन में दो मास्टर नोड, 11 लॉगिन नोड, दो फ़ायरवॉल नोड, 4 मैनेजमेन्ट नोड, एक एनआईएस स्लेव और 624 कंप्यूट सीपीयू + जीपीयू-नोड्स शामिल हैं। कंप्यूटर नोड्स को को आगे तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, रेगुलर सीपीयू नोड्स, हाई-मेमोरी सीपीयू नोड्स और जीपीयू नोड्स। सभी नोड्स मेलोनॉक्स हाई-स्पीड एचडीआर से जुड़े हुए हैं। परम प्रवेगा को लिनाक्स ओएस1 ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर बनाया गया है। यह सेंटोस7.एक्स डिस्ट्रीब्यूशन पर आधारित है।
आईआईएससी ने इससे पहले भी सुपर कंप्यूटर बनाया है। आईआईएससी ने 2015 में सहस्र टी सुपर कंप्यूटर इंस्टॉल किया था, जो उस समय भारत का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर था। इस सहस्र टी का उपयोग आईआईएससी ने कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों पर शोध के लिए किया है। सहस्र टी के माध्यम से हरित ऊर्जा तकनीकी, जलवायु परिवर्तन आदि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लाभ मिला। आईआईएससी का लक्ष्य परम प्रवेग के साथ इस तरह के शोध को आगे बढ़ाना है।
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