दक्षिणापथ, दुर्ग । छत्तीसगढ़ी हिन्दी उर्दू में समान रूप से लिखने वाले महत्वपूर्ण कवि रचनाकार, मुकुन्द कौशल का अप्रैल में कोरोना के कारण निधन हो गया था। दुर्भाग्य की बात है कि दो दिन बाद उनके एक पुत्र अक्षत का भी निधन हो गया। मुकुन्द कौशल को स्ममरणजली का कार्यक्रम का आयोजन दुर्ग जिला साहित्य समिति, हल्फ ए अदब, दुर्ग वीणा वाणी साहित्य समिति, और जैष्ठ नागरिक संघ द्वारा किया गया जिसमें रायपुर से डॉ चितरंजन कर, डॉ. सुधीर शर्मा, शामिल हुए दुर्ग साहित्य कारों में परदेशी राम वर्मा रवि श्रीवास्तव, गुलवीर सिंह भाटिया, सरला शर्मा, डॉ संजय दानी, अरूण कुमार निगम, संजीव तिवारी, अरुण कसार, सूर्यकांत गुप्ता, शशि दुबे, विधा गुप्ता, रोहणी पाटण्डकर, बलदाऊ साहू, साद बिलासपुरी, प्रदीप शर्मा, श्री नारंग जी, राजनांदगाव के आत्माराम कोसा, आदि ने कौशल जी को श्रद्धाजली दी और अपने विचार रखे। इस अवसर पर स्व. मुकुन्द कौशल की उर्दू गजलों की किताब (जमीन कपड़े बदलना चाहती है) का भी विमोचन किया गया। स्व. कौशल के बड़े पुत्र निशांत ने माँ की तरफ से कौशल जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया । शिवाकांत तिवारी सांस्कृतिक प्रकोष्ट के अध्यक्ष के द्वारा मुकुन्द्र कौशल के लिखे गीतों की प्रस्तुति कराया उभरते कलाकार ओम तिवारी और मनहरण साहू द्वारा “मोर भाखा के दया गया के कईसन हे मिलाप रे और घर ले कुदारी ग किसान” गीत गाकर श्रद्धाजंली दी। छत्तीसगढ़ के कर्मकार को श्रद्धांजली देने के लिए अंचल के साहित्यकार कवियों ने उपस्थित होकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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