बिलासपुर । संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग एवं कलेक्टर डॉ. सरांश मित्तर ने आज बिल्हा विकासखण्ड के ग्राम सेलर के गौठान में कार्यरत विभिन्न महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों से चर्चा कर व्यवसायिक गतिविधियों की जानकारी ली। उन्होंने समूह की महिलाओं से गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, विक्रय, पैकिंग, लाभ आदि के बारे में जानकारी ली। संभागायुक्त ने सेलर गौठान में संचालित गतिविधियों एवं जिले में वर्मी कम्पोस्ट खाद के उत्पादन के लिए उपयोग में लाई जा रही अभिनव तकनीक की सराहना की।
सेलर गौठान में 11 महिला स्वसहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। संभागायुक्त ने 35 एकड़ क्षेत्र में फैले इस गौठान में संचालित सभी गतिविधियों का निरीक्षण किया। शिव शक्ति स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा दोना पत्तल निर्माण का कार्य किया जा रहा है। संभागायुक्त ने उनसे प्रशिक्षण एवं अब तक अर्जित लाभ की जानकारी ली। ग्वालपाल महिला स्वसहायता समूह द्वारा उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट खाद का अवलोकन किया। समूह की महिलाओं ने डॉ. अलंग को बताया कि उनके द्वारा 27 क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 17 क्विंटल खाद की बिक्री हो चुकी है। कृषि विभाग के उप संचालक ने संभागायुक्त को जानकारी दी कि सेलर में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए अभिनव तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
कम मूल्य लागत वर्मी कम्पोस्ट
कम मूल्य की लागत से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जा रहा है। इस तकनीक के अंतर्गत वर्मी टैंक का पक्का स्ट्रक्चर न बनाकर जमीन की सतह पर एक से डेढ़ फीट की उंचाई पर पॉलीथीन बिछाकर वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जाता है। इसमें बीच का भाग उपर होता है एवं किनारों में ढाल होती, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।
डी-कम्पोजर का उपयोग
वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए डी-कम्पोजर का उपयोग किया जा रहा है। जिससें कम समय में ही खाद बनकर तैयार हो जाता है और यह खाद की उपलब्धता को बढ़ाता है। वर्मी टांके में कुछ मात्रा में डी-कम्पोजर मिलाने से यह जल्द ही गोबर एवं अन्य सामग्री को डी-कम्पोज करता है, जिससे खाद जल्द तैयार हो जाता है।
प्रोम खाद का उपयोग
जिले में प्रोम खाद का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक में खाद में रॉक फास्फेट मिलाया जाता है। जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है एवं यह जैविक होता है। रासायनिक खाद की अपेक्षा आधी मात्रा ही जैविक खाद की लगती है।
संभागायुक्त ने जागृति समूह द्वारा किए जा रहे मशरूम उत्पादन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अब तक मेरे द्वारा निरीक्षण किये गये सभी जिलों से बेहतर यहां मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने बताया कि 15 किलो मशरूम की बिक्री की जा चुकी है। संभागायुक्त ने 500 रूपये में 500 ग्राम मशरूम समूहों से क्रय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्व सहायता समूहों द्वारा किये जा रहे मछली पालन, मुर्गी पालन, गोबर गैस प्लांट, बकरी पालन एवं बाड़ी विकास कार्यों का भी निरीक्षण किया।
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