भिलाई। सरकार ने सभी संवैधानिक पहलुओं की पड़ताल करके उसका तथ्यात्मक निराकरण करके आरक्षण संशोधन विधेयक बनाया है। जिसे विधानसभा में सर्वसम्मिति से पारित किया गया है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर ने कहा है कि इस पर राज्यपाल को अविलंब हस्ताक्षर करना चाहिए था, लेकिन आज एक माह हो गया है और राज्यपाल महोदया ने इसे विधीक सलाहकर का नाम लेकर भाजपा नेताओं के दबाव मे रोक रखा है क्या विधीक सलाहकर विधानसभा जैसी संवैधानिक संस्था से भी सर्वोच्च हो गया है?अनावश्यक विलंब करने से हर वर्ग को नुकसान हो रहा है जिसे लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 3 जनवरी को रायपुर मे विशाल महारैली का आयोजन किया है जिसमे भिलाई से भी हजारों की संख्या मे कार्यकर्ता अपनी भागीदारी देंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का जो बयान आ रहा है उससे लग रहा भारतीय जनता पार्टी राजभवन की आड़ में राजनीति कर रही है। आरक्षण संशोधन विधेयक में विलंब भाजपा का साफ षडयंत्र लग रहा है। विधानसभा में पारित होने के बाद विधेयक राजभवन हस्ताक्षर होने गया है। वहां क्यो रूका है? किसके कहने पर रूका है? यह सभी जानते है और समझते है। राजभवन राजनीति को अखाड़ा नहीं बनना चाहिये। आरक्षण विधेयक पारित करते समय ही विधानसभा में आरक्षण विधेयक को सुरक्षा क्वच देने के लिये विधेयक को लोकसभा की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने का संकल्प पारित किया गया है। विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करने संकल्प पत्र को केन्द्र सरकार के पास भेज दिया है। ऐसे में राजभवन को बिना संशय के विधेयक पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए था। भाजपा की नीयत साफ है तो अपनी केन्द्र सरकार पर दबाव बनाकर राज्य को 9वीं अनुसूची में शामिल करवाए ।