देशभर में नौकरी दिलाने का झांसा, 100 बेरोजगारों को बनाया शिकार, धरे गए 5 ठग

by sadmin

रायपुर। राजधानी पुलिस की टीम ने देशभर में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में दिल्ली से 5 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं जो ऑनलाइन naukri.com से खरीदी कर बेरोजगारों से धोखाधड़ी कर उन्हें शिकार बना रहे थे। बदमाशों के पास से 8 एटीएम कार्ड सहित 8 मोबाइल और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस के अनुसार अब तक की गई पूछताछ में बदमाशों ने देशभर में प्राइवेट नौकरी के लिए 100 से अधिक बेरोजगार युवकों को फसाने की जानकारी दी है।

प्रकरण में खुलासा करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राइम अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि प्रकरण में आरोपी रोहन टॉक पिता महेश चंद्र टॉक (23), फाजलपुर, मधुविहार दिल्ली, अर्जुन टॉक पिता स्व. मुकेश कुमार टॉक (34) चंद्र विहार कॉलोनी, मधुविहार दिल्ली, सत्येंद्र तिवारी पिता राम निवास तिवारी (24) ज्वालापुरी, पश्चिम विहार दिल्ली, सनी डेडा पिता हरबीर सिंह (26) न्यू अशोक नगर दिल्ली एवं विकास शुक्ला पिता राम कुमार शुक्ला (27) दिलशाद गार्डन, सीमापुरी दिल्ली को गिरफ्तार किया गया है।

रायपुर की महिला से ठगी के बाद सक्रिय हुई पुलिस

पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि रायपुर की तिरिथ भारद्वाज नामक महिला को इंडिगो एयरलाइंस में नौकरी दिलाने के लिए झांसा दिया था। इसके लिए आरोपियों ने महिला से 46 हजार की ठगी की थी इसमें कोतवाली थाने में धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया गया था। मामले की जांच की जा रही थी। इसी सिलसिले में एक विशेषज्ञ टीम दिल्ली रवाना की गई थी।

कॉल सेंटर से दबोचे गए आरोपी

पुलिस ने बताया कि इस मामले में पकड़े गए पांचों आरोपी दिल्ली में कॉल सेंटर चलाने का काम करते हैं और सभी स्नातक तक पढ़े हैं। इन लोगों ने ऑनलाइन naukri.com से जानकारी को ₹10000 में खरीद कर लोगों की जानकारी के जरिए ठगी का रैकेट चला रहे थे। इस सिलसिले में देश के अलग-अलग राज्यों से धोखाधड़ी की शिकायतें मिली हैं। जिसमें अब तक 50 लाख से अधिक की ठगी होने का दावा किया जा रहा है।

फर्जी नियुक्ति पत्र देकर बनाते थे शिकार

इस सिलसिले में पुलिस का कहना है कि रकम लेने के बाद आरोपी फर्जी नियुक्ति पत्र तक निजी कंपनियों की जारी कर देते थे। इन सभी कंपनियों के फर्जी सेल और लेटर पैड की कॉपी भी पुलिस के हाथ लगी है। छानबीन को आगे बढ़ाया जा रहा है। बेरोजगारों को फर्जी नियुक्ति पत्र देकर यह विश्वास दिलाया जाता था कि नौकरी निजी कंपनी में लग गई है लेकिन नौकरी के लिए जाने पर बेरोजगार को पता लगता था कि इस तरह का कोई नौकरी का ना तो विज्ञापन निकला है और ना ही रोजगार दिया गया है।

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