श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में तीन दिवसीय लोगस्स स्तोत्र का संगीतमय चक्र साधना शिविर का समापन

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नगपुरा / दुर्ग। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में आयोजित तीन दिवसीय लोगस्स स्तोत्र का संगीतमय आराधना के साथ चक्र साधना शिविर का रविवार को  समापन हुआ। इस शिविर में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से साधक आये हुये थे।
शिविर का सम्पूर्ण संचालन एवं मार्गदर्शन जीवन प्रशिक्षक शेखर जैन (बैद) रायपुर द्वारा किया गया। समापन समारोह में शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए शेखर जैन ने कहा कि “अच्छा विचार यह माना जाता है कि मनुष्य के विकास से सारी सृष्टि का विकास होना चाहिए। सृष्टि मनुष्य के उपभोग के लिए जन्मी है, मनुष्य सृष्टि का स्वामी है, यह प्रचलित परम्परा है। लेकिन हमारी भारतीय परम्परा में ऐसा विचार नहीं है। हमारे ऋषि मुनि संत का कथन है कि मनुष्य अगर सृष्टि में सबसे सक्षम है तो वह मालिक नहीं बनता। उसका दायित्व बनता है कि वह अपनी इन क्षमताओं का उपयोग करके सबके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे। “सर्वे भवन्तु सुखिनः- सर्वे संतु निरामया” यह सूक्ति हमारे लिए आदर्श वाक्य होना चाहिए। जीवन जीना एक कला है। जीवन की नीति निर्धारण करने में आत्मबल और मनोबल की आवश्यकता होती है। संक्षेप में इसे आंतरिक साहसिकता कह सकते हैं ईश्वर की प्रसन्नता और अनुकम्पा का प्रत्यक्ष संबंध व्यक्ति के भाव संस्थान से है व्यक्ति के जीवन में भावों की शुद्धि, मानसिक शक्ति एवं आध्यात्मिक प्रगति के लिए चक्र साधना का विशेष महत्व है।”

साधक कमलेश बैद शिविर का अनुभव साझा करते हुए बतलाया कि इस शिविर से धर्ममय वातावरण मिला सकारात्मक विचारों के साथ सरलतापूर्वक जीवन जीने की प्रेरणा मिली।
  शिविरार्थी प्रिया, तनिषा, मानसी, छवि  ,महक जैन ने शिविर संबंधी विचार व्यक्त करतेहुए कहा कि हमें शिविर में चक्र साधना की जानकारी सुगमता से मिली। प्रशिक्षक शेखर सर ने चक्र साधना के मंत्र, रंग और इनके प्रभाव की विस्तृत जानकारी दिए। संगीतमय वातावरण, भक्तिमय माहौल, नृत्य-संगीत, प्रेरणास्पद कथाएँ बहुत कुछ यादगार बन गया। तीर्थ ट्रस्ट मंडल की ओर से शिविर के संचालक प्रशिक्षक शेखर जैन तथा साधार्मिक भक्ति लाभार्थी झनकारीबाई प्रकाशचंद बैद को स्मृतिचिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।

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