दुर्ग । भारतीय किसान संघ के अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य एवं भारतीय एग्रो इकॉनामिक्स रिसर्च सेंटर के अखिल भारतीय अध्यक्ष एवं केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री एमएसपी कमेटी के सदस्य प्रमोद चौधरी ने पत्रकारों से चर्चा में बताया भारतीय किसान संघ लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य एवं अन्य मांगों को लेकर 19 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली करने जा रहा है। इस रैली में देश भर के किसान जुटेंगे।
लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य के विषय पर उन्होंने कहा जिस प्रकार एक उद्योग में बनने वाले उत्पाद में जो पूंजी निवेश रहता है उसकी गणना भी लागत में की जाती है जैसे भूमि, भवन, मशीनें, कच्चा माल आदि एवं इसके पश्चात् कर्मचारियों का वेतन एवं कार्यकारी मंडल का वेतन और ये कार्यकारी मंडल का वेतन वे स्वयं तय करते हैंं जो करोड़ों में होता इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। अब किसान की बातें करते हैं जब फसल का लागत मूल्य निकाला जाता है तो भूमि का किराया नहीं जोड़ा जाता, किसान का पूंजी निवेश नहीं जोड़ा जाता है। धान की फसल की बात करते हैं तो औसत धान की फसल में 140 दिन लगते हैं परंतु लागत निकाली जाती है तो उसमें किसान के केवल 40 दिन की मजदूरी जोड़ी जाती है वह भी अकुशल श्रमिक के रूप में जबकी किसान 140 दिन खेतों में जाता है एवं कब खेती में क्या आवश्यकता है इसका विचार कर प्रयोग करता है तो वह अकुशल कैसे हुआ ? इसके अतिरिक्त उसके घर के सदस्यों की भी मजदूरी नहीं जोड़ी जाती जबकि उसका पूरा परिवार खेती में लगा रहता है।