कार्तिक मास (दामोदर मास) का प्रारंभ हो चुका है। सनातन धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। हमारे धर्म ग्रथों में इस मास की अनेक खासियत है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने, उनकी कृपा पाने का यह अच्छा समय है। माना गया है कि शालिग्राम का पूजन और प्रभु के नामों के स्मरण से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता। कार्तिक मास का की महत्ता सनातन धर्म में बड़ा फलदाई बताया गया है। इसे दामोदर मास भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करना सबसे शुभ होता जाता है। पूरे कार्तिक मास में स्नान, दान और भगवत्पूजन किया जाता है उसे जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने अक्षय फल देने वाला बतलाया है।
स्वयं ब्रह्माजी कार्तिक मास की महिमा बताते हुए कहते हैं कि कार्तिक मास सब मासों में उत्तम है। महीनों में कार्तिक, देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थों में नारायण तीर्थ (बद्रिकाश्रम) श्रेष्ठ है। ‘न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगं, न वेदं सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समं’ अर्थात् कार्तिक के समान कोई मास नहीं है।
ये दान भगवान सीधे ग्रहण करते हैं
ग्रथों के अनुसार सतयुग के समान कोई युग, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। इस महीने में तेंतीस कोटि देवता मनुष्य के सन्निकट हो जाते हैं और इसमें किए हुए स्न्नान, दान, भोजन, व्रत, तिल, धेनु, सुवर्ण, रजत, भूमि, वस्त्र आदि के दानों को विधिपूर्वक ग्रहण करते हैं।
करें ब्रह्ममुहूर्त में स्न्नान
मान्यता है कि कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करना बहुत लाभकारी होता है। अगर आप नदी के जल में स्नान करने में असमर्थ हैं तो नहाने के पानी में किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है।