इस बार रावण पर महंगाई की मार… पुतले पर 35 प्रतिशत जीएसटी का लगा है तड़का

by sadmin

विजयदशमी पर रावण दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार भी देता है लेकिन इस बार रावण महंगा हो गया है। लाजिमी है कि जब रावण महंगा हो तो भला मेघनाथ और कुंभकर्ण क्यों पीछे रहते, उनके रेट भी बढ़े गए हैं। अब ये अलग बात है कि उनकी कीमत रावण से कम है, भई रावण तो रावण है, महंगा तो रहेगी ही..। जी हां, यहां बात हो रही पुतलों की क्योंकि इस कलयुग में अंदर के रावण को मारना तो वश में है ही नहीं है।

इसमें जीएसटी ने तड़का और लगा दिया है। पुतला बनाने वाली सामग्री में जीएसटी की मार भी पड़ी है। मसलन कपड़े पर 12 फीसदी, आइल पेंट पर 18 फीसदी, कागज पर 12 फीसदी जीएसटी देना पड़ा। पुतले का आधार बांस पर भी वन डिपो में 5 फीसदी जीएसटी लिया जाता है। चूंकि बसोड़ों ने बांस ठेकेदारों से लिया है इसलिए स्वाभाविक है उन्होंने ठेकेदार को 5 प्रतिशत से ज्यादा जीएसटी दिया है।

इसी बांस से यदि अगरबत्ती बनी तो 12 प्रतिशत और फर्नीचर बना तो जीएसटी 18 प्रतिशत हो जाता है। ये दिहाड़ी मजदूर ही हैं जो त्योहारों पर हमारे घरों में रौनक भर देते हैं.. फिर चाहे दीया बनाने वाले हों, मूर्ति बनाने वाले हों या कि पुतला बनाने वाले। इन्हें धर्म, जात-पात से कोई मतलब नहीं।   

आइए जानते हैं इस बार क्यों महंगे हो गए ये पुतले…
राजधानी में कल यानी 5 अक्टूबर को विजयदशमी का महोत्सव मनाया जाएगा। पूरे शहर में 100 से अधिक स्थानों पर रावण दहन होगा जिसके लिए बांसटाल व आसपास के इलाकों बढईपारा, स्टेशन रोड पर रावण के पुतले बनाने के काम में कारीगर जुटे हैं लेकिन वे पुतला बनाने के काम में आने वाली  सामग्री की ऊंची कीमतों से परेशान हैं इसीलिए कारीगरों ने पुतलों के दाम में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है।

रावण की ऊंचाई जितनी, दाम भी उतने ही ऊंचे…
इस बार 32 फीट के रावण के पुतले की कीमत 28 हजार रुपए रखी गई है वहीं मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों की कीमत 22 हजार रुपए है जबकि सबसे कम ऊंचाई वाले 5 फीट के पुतले की कीमत 5 हजार और 10 फीट के रावण की कीमत 7 हजार रखी गई है।

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