नई दिल्ली । म्यांमार की एक महिला सेनोआरा बेगम ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके जवाब में केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसे सुरक्षा एजेंसियों के जरिये आंकड़े प्राप्त हुए हैं जो अवैध रोहिंग्या प्रवासियों के पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने का संकेत देते हैं। हलफनामे में बताया गया है कि ये देस की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है। केंद्र ने कहा कि भारत सरकार की नीति के अनुसार ऐसे अवैध विदेशियों को विदेश मंत्रालय के परामर्श से उनकी राष्ट्रीयता सत्यापन के अधीन उनके मूल देश वापस भेजा जाना चाहिए। दरअसल, महिला ने 20 सितंबर को एक याचिका दायर की थी। ये याचिका गृह मंत्रालय के फैसले के खिलाफ थी। मंत्रालय ने महिला और उसके तीन बच्चों का भारत छोड़ने के लिए उनके निकास परमिट आवेदनों से इनकार कर दिया गया था। महिला अपने तीन बच्चों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करना चाहती थी। सरकार ने कहा कि मुख्य चिंता का विषय यह है कि म्यांमार से एजेंटों के माध्यम से अवैध प्रवासियों का आगमन जारी है। ये लोग बेनापोल-हरिदासपुर (पश्चिम बंगाल), हिली (पश्चिम बंगाल) और सोनमोरा (त्रिपुरा), कोलकाता और गुवाहाटी के माध्यम से भारत में प्रवेश कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि यह स्थिति देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। केंद्र ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के समक्ष दायर एक हलफनामे में कहा कि पड़ोसी देशों से अवैध प्रवासियों की पहले से मौजूद बड़ी संख्या के कारण, भारत के कुछ सीमावर्ती राज्यों की जनसांख्यिकीय स्थिति में एक गंभीर बदलाव आया है जो विभिन्न संदर्भों में जटिलताएं पैदा कर रहा है।
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