आदिवासी सभ्यता और संस्कृति प्रकृति से जुड़े हैं : राज्यपाल सुश्री उइके

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रायपुर, राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज गरियाबंद जिले के राजिम में राष्ट्रीय चिल्हीडार महापूजा एवं बेटा ज्यौतिया महाव्रत कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा है कि आदिवासी सभ्यता और संस्कृति प्रकृति से जुड़े हैं। आदिवासी संस्कृति प्रकृति पूजक हैं। आदिकाल से ही जल,जंगल और जमीन से उनका गहरा नाता होता  है। उन्होंने कहा कि गोंड़ी धर्म और संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए इस  प्रकार के धार्मिक आयोजन एक अच्छी पहल है। उन्होंने पवित्र धार्मिक नगरी राजिम में गोंड़ी धर्म संस्कृति को पल्लवित करने के इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी। धार्मिक आयोजन एक अच्छी पहल है। उन्होंने पवित्र धार्मिक नगरी राजिम गोंड़ी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति और छत्तीसगढ़ गोंड़वाना संघ के  संयुक्त तत्वावधान में आज आयोजित राष्ट्रीय चिल्हीडार महापुजा एवं बेटा ज्यौतिया महाव्रत कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कीं। गोंडवाना गुरूदेव दुर्गेभगत एवं करूणामयी माता दुर्गेदुलेश्वरी की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, विधायक  बिन्द्रानवागढ़ डमरूधर पुजारी, सांसद चुन्नीलाल साहू, पूर्व मंत्री   बृजमोहन  अग्रवाल, केदार  कश्यप एवं महेश गागड़ा  और  पूर्व  सांसद चंदूलाल साहू भी सम्मिलित हुए। को पल्लवित करने के इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि गोंड़ समाज की माताएं अपने  बच्चों और परिवार के सुख-समृद्धि के लिए चिल्हीडार महापूजा एवं बेटा ज्यौतिया महाव्रत करती हैं। क्वंार मास कृष्ण पक्ष अष्टमी के पावन अवसर पर निरंतर 15 वर्षों से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के लिए उन्होंने शुभकामनाएं दीं और कहा कि गोंड़ी धर्म संस्कृति के इस आयोजन मे शिरकत करते हुये उन्हें सुखद अनुभूति हो रही है। सहजता, सरल और स्वाभिमान की  जिन्दगी जीना आदिवासियों की पहचान है। वर्तमान  परिस्थिति में अपनी  संस्कृति को बनाये रखना एवं उसका संवर्धन करना भी एक महान एवं पवित्र कार्य है। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी  संस्कृति, कला, नृत्य-संगीत  की प्रशंसा आज  देश दुनिया के लोग कर रहे हैं। अपनी  संस्कृति को  बढ़ावा देने के लिए यह एक प्रशंसनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में समाज के विकास के लिए कई व्यवस्थाएं की  गई हैं। 5वीं अनसूची में विशेष कानून पेसा के तहत  ग्रामसभा को कई अधिकार दिए गए हैं। लेकिन  आज भी  समाज  मूलभूत  समस्याओं  से जूझ रहा है। राज्यपाल सुश्री  उइके ने समाज के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार के माध्यम से अपनी प्रयासों को विस्तार पूर्वक रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने सभा को अवगत कराया कि मात्रात्मक त्रुटि की वजह से लाभ से वंचित 12 जनजातियों को केंद्र सरकार के निर्णय से अब अपनी  जाति का लाभ मिलेगा। पेसा कानून के लिए छत्तीसगढ़  शासन  ने  नियम  बनाकर कानून का रूप दिया है। समाज द्वारा आवश्यक संशोधन हेतु पहल करने का भी सुझाव दिया गया है। राज्यपाल ने समाज के लोगों से राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का उठाने का आह्वान किया। राज्यपाल सुश्री उइके ने  धार्मिक  सद्भावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि  देश  मे  अन्य  धर्मों की भांति गोड़ी  धर्म को भी  मान्यता मिलना चाहिए। इससे पूर्व उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर स्थापित चिल्हीडार पर पुष्प अर्पित किया। इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक अमितेश शुक्ल, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और विधायक डमरूधर पुजारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर गोंड़ी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति और गोंडवाना संघ के पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा से पहुंचे समाज के लोग उपस्थित थे।

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