नई दिल्ली । युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के हालात देखते हुए को अमेरिका रूस से तेल आयात पर पाबंदी लगाने की फिराक में है। इसे लेकर उसने जी7 देशों से संपर्क किया है। यूएस ने भारत से भी इस प्रयास में साथ आने की अपील की है। वहीं, रूस ऐसे किसी भी प्रतिबंध से बचने के प्रयास में लगा हुआ है। इस कड़ी में मॉस्को ने भारत को तेल आयात पर भारी छूट की घोषणा की है। ईरान भी भारत को रियायती दर पर तेज निर्यात करने की फिराक में है। दरअसल, ईरान फिर से भारत को तेल निर्यात शुरू करना चाहता है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
दरअसल, अमेरिका का कहना है कि रूसी तेल के दाम की सीमा तय होने से यूक्रेन में रूस के गैरकानूनी युद्ध के लिए धन जुटाने के स्रोत पर चोट लगेगी। इसके अलावा इस कदम से अमेरिका को तेजी से बढ़ती वैश्विक मुद्रास्फीति से लड़ने में मदद मिलने की भी उम्मीद है। जी7 समूह के सदस्य देशों ने रूस के तेल आयात पर मूल्य सीमा लागू करने के लिए कदम उठाने का संकल्प जताया है। रूस अपने कच्चे तेल की बिक्री से मिलने वाले धन का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ जारी सैन्य कार्रवाई में कर रहा है। अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए हैं। उन्होंने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हैं। लेकिन इन पाबंदियों से बेअसर रूस यूक्रेन के खिलाफ अपना अभियान जारी रखे हुए है।
भारत ने रूस से मार्केट रेट से कम में तेल खरीदा है। रूस से मिलने वाली यह छूट लगातार घटती रही है। मई में रूसी क्रूड ऑयल 16 डॉलर में एक बैरल था। यह जून में 14 डॉलर प्रति बैरल, जुलाई में 12 डॉलर प्रति बैरल और अगस्त में घटकर 6 डॉलर प्रति बैरल हो गया। दूसरी तरफ, इराक ने भी अपने क्रूड ऑयल की कीमतें काफी कम कर दी हैं। जुलाई में इराकी तेल के एक बैरल की कीमत 20 डॉलर थी। बताया जा रहा है कि इराक भी भारतीय मार्केट में दोबारा लौटना चाहता है। यही वजह रही कि रूस जून में भारत के तेल के दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता से सऊदी अरब और इराक के बाद अगस्त में तीसरे नंबर पर आ गया। हालांकि, भारत अभी भी रियायती रूसी तेल के प्रस्ताव में रुचि दिखा सकता है।
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