नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बुधवार को अपने संसदीय बोर्ड में बड़ा बदलाव कर पहली बार किसी सिख नेता को जगह दी है। पार्टी की ओर से संसदीय बोर्ड में शामिल ग्यारह सदस्यों में इकबाल सिंह लालपुरा का नाम शामिल है। इकबाल सिंह लालपुरा पंजाब का जाना माना नाम रहा है। पूर्व आईपीएस भी हैं। रिटायर होने के बाद लालपुरा साल 2012 में बीजेपी में शामिल हुए थे और फिलहाल राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं। संसदीय बोर्ड में लालपुरा को शामिल किए जाने के पीछे कई राजनीतिक मायने भी हैं।
संसदीय बोर्ड में लालपुरा की नियुक्ति कई मायनों में अहम है। संसदीय बोर्ड में लालपुरा को शामिल करना पंजाब में राजनीतिक महत्व रखती है। पंजाब में बीजेपी को किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। इसके बाद बीजेपी का फोकस पंजाब की तरफ भी है। पंजाब की ओर से लालपुरा दूसरे नेता है, जिन्हें बड़े पद के लिए चुना गया है।
इसके पहले पूर्व राज्य मंत्री विजय सांपला को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। पंजाब में किसानों की नाराजगी का विधानसभा चुनाव में साफ दिखाई दिया था। जहां, बीजेपी पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह के साथ मैदान में थी फिर भी सत्ता तक नहीं पहुंच सकी। बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब में अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार लालपुरा को संसदीय बोर्ड में शामिल करना बीजेपी का दूसरा बड़ा कदम है।
पंजाब के रोपड़ जिले के रहने वाले लालपुरा ने कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध के दौरान पंजाब के कई हिस्सों का बार-बार दौरा भी किया था। इस दौरान इनको संगरूर और बरनाला में विरोध का सामना भी करना पड़ा था। पूर्व आईपीएस होने की वजह से पंजाब में लालपुरा की छवि ठीक-ठाक रही है। लालपुरा जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करने के लिए बनाई की तीन सदस्यों के ग्रुप का हिस्सा भी रह चुके हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने से पहले लालपुरा बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लालपुरा आईपीएस अधिकारी के रूप में पंजाब के कई जिलों में अपनी सेवा दे चुके हैं। इनमें से अमृतसर एसएसपी, तरन तारन एसएसपी और अमृतसर में सीईआईडी के अतिरिक्त महानिरीक्षक के रूप में कार्या किया है।
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