बीजिंग । चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पहली बार मध्यम वर्ग से आने वाले लोगों के विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। चीन के 31 में से 24 प्रांतों में लोग 235 प्रॉपर्टी प्रोजेक्ट के 1.3 करोड़ लोग होम लोन की किस्त जमा नहीं कर रहे हैं। उनका आरोप है कि बिल्डर समय पर प्रॉपर्टी पर नहीं कब्जा नहीं दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में लगे प्रतिबंधों की वजह से प्रॉपर्टी सेक्टर को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इस वजह से प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो सके हैं। प्रापर्टी सेक्टर के विशेषज्ञ जूलियन इवांस ने कहा कि प्रॉपर्टी सेक्टर की मंदी जल्द ही चीन के अन्य सेक्टरों को भी प्रभावित करेगी। नवंबर में कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में जिनपिंग तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी करने वाले हैं। मिडिल क्लास का यह विद्रोह उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। राष्ट्रपति के चुनाव में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लगभग 10 करोड़ सदस्य प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मतदान करेंगे। जीरो कोविड पॉलिसी व लंबे लॉकडाउन ने चीन को दुनिया से अलग कर दिया है। पूर्व डिप्लोमेट और लेखक रोजर गारसाइड के अनुसार देश में भी गुस्सा और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति लॉयल्टी में कमी आई है। राष्ट्रपति जिनपिंग इन दिनों बाहरी और आंतरिक दोनों स्तरों पर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति ने जिनपिंग के विरोधियों को बल दिया है। चीन में लगभग 70 फीसदी लोगों ने संपत्ति में निवेश किया है, यह अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक है। इसलिए ये विरोध भारी पड़ सकता है। वैसे भी जिनपिंग तीसरे कार्यकाल की तैयारी कर रहे हैं। जिनपिंग की परेशानी को ऐसे भी समझ सकते हैं कि देश में पहले छह महीनों में 31 लाख उद्योग-कारोबार बंद हो चुके हैं। चीन में करीब 70 फीसदी लोग संपत्ति में निवेश करते हैं। यह अमेरिका से भी ज्यादा है। अमेरिका में करीब 40 या 50 फीसदी लोग संपत्ति में निवेश करते हैं। चीन में 4000 बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। इनमें 4 लाख से ज्यादा खाताधारकों के हजारों करोड़ रुपए फंसे हैं। अपने पैसों के लिए कई प्रांतों में लोग बैंकों के सामने धरने दे रहे हैं।
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