नई दिल्ली । पिछले 5 सालों के दौरान भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई है, इनमें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में 40 फीसदी मौतें हुई हैं। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने बताया कि 2017 में 92, 2018 में 67, 2019 में 116, 2020 में 19, 2021 में 36 और 2022 में 17 मौतें सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दर्ज की गई है। आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर द्वारा राज्यसभा को बताया कि उत्तर प्रदेश में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 47, तमिलनाडु में 43 और दिल्ली में 42 श्रमिकों की मौत हुई है। कौशल किशोर ने बताया कि हरियाणा में 36 मौतें, महाराष्ट्र में 30, गुजरात में 28, कर्नाटक में 26, पश्चिम बंगाल में 19, पंजाब में 14 और राजस्थान में 13 मौतें हुई हैं। राजधानी दिल्ली में 2017 में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मारे गए लोगों की संख्या 13 रही। सन 2018 में 11, सन 2019 में 10 और 2020 और 2021 में चार-चार लोगों ने अपनी जान गंवाई। भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई हाथ से करना पूरी तरह प्रतिबंधित है। राज्य मंत्री कौशल किशोर ने बताया कि केंद्र सरकार ने ‘नेशनल एक्शन प्लान फॉर मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते) योजना तैयार की है। इस योजना का उद्देश्य ऐसी मौतों की संख्या को शून्य पर लाना है। यह योजना पेयजल और स्वच्छता विभाग भारत सरकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की एक संयुक्त परियोजना है। राज्य मंत्री कौशल किशोर ने नमस्ते योजना के उद्देश्य के बारे में भी बताया। कौशल किशोर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नमस्ते योजना का उद्देश्य भारत में सफाई कार्य से होने वाले मौतों की संख्या को शून्य पर लाना है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि सभी तरह के सफाई कार्य प्रशिक्षित वर्कर द्वारा कराया जाए। इसके साथ ही सभी सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारियों के पास वैकल्पिक काम का भी ऑप्शन होगा।
48