नई दिल्ली । गुजरात में कांग्रेस पार्टी, जिसने 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विधानसभा चुनाव के दौरान कड़ी टक्कर दी थी। पार्टी अब चुनाव से गायब है। वो भी ऐसे समय पर जब आम आदमी पार्टी (आप) खुद को एक विकल्प के रूप में पेश करके गुजरात में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों और विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी को यहां बैकफुट पर रह सकती है। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 2017 के चुनावों में पार्टी को लगभग 38% वोट शेयर मिला था, ऐसे में पार्टी के पीछे रहने के बारे में बोलना जल्दबाजी होगी और गुजरात कांग्रेस वापसी करेगी। हाल ही में अहमदाबाद के अपने अंतिम दौरे के दौरान, आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि कांग्रेस जमीन पर दिखाई नहीं दे रही है और यह केवल कागजों में मौजूद है। ‘राज्य में किसी भी विपक्षी पार्टी का सफाया करने के लिए जिस तरह से फांसीवादी ताकतों ने कॉरपोरेट्स के साथ हाथ मिलाया है, उसे देखते हुए यह अभूतपूर्व है। कांग्रेस को एक खास तरीके से प्रदर्शित करने के लिए मीडिया में प्रचार किया जा रहा है।’ बीजेपी और आप के राष्ट्रीय नेताओं ने इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में बार-बार आना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महीने में छह बार गुजरात का दौरा किया और इसी अवधि में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पांच बार गुजरात आए हैं। वहीं राज्य में कांग्रेस नेता कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। चार महीने पहले राहुल गांधी द्वारका आए थे और उन्होंने आगामी गुजरात चुनावों के रोडमैप को लेकर चर्चा की थी। राहुल गांधी ने आखिरी बार 10 मई को गुजरात का दौरा किया था, तब उन्होंने आदिवासी बहुल दाहोद शहर में आदिवासी सत्याग्रह रैली को संबोधित किया था। बता दें कि गुजरात में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी एक साल से अधिक समय से प्रचार मोड में है। गुजरात बीजेपी प्रमुख सी आर पाटिल रणनीतियों पर काम कर रहे हैं और उन्हें लागू कर रहे हैं। कांग्रेस ने पिछले दो सालों में कम से कम 14 विधायकों को खो दिया है। ये सभी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। राज्य विधानसभा में पार्टी का संख्याबल 77 विधायकों से घटकर लगभग 64 रह गई है। 2017 में 99 सीटें जीतने वाली बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 111 विधायकों हो गई है। गुजरात विधानसभा में 182 सदस्य हैं।