राजस्व सचिव ने कहा कि विलासिता वाले उत्पादों पर 28% की अधिकतम दर से ही जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा। हालांकि, अन्य तीन कर दरों को हम दो में समायोजित कर सकते हैं। हम यह देख सकते हैं कि देश किस तरह आगे बढ़ता है और क्या इन दरों को कम कर सिर्फ एक दर पर ला सकते हैं या नहीं।डिब्बा बंद और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने से रोजमर्रा इस्तेमाल वाली जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे। जीएसटी परिषद के इस फैसले से अनुपालन का बोझ बढ़ेगा, जिसे खाद्यान्न कारोबारियों को नुकसान होगा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने सोमवार को कहा कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और राज्यों के वित्तमंत्रियों को इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए।जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक में डिब्बा बंद या लेबल युक्त मांस, मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद और मुरमुरे पर 18 जुलाई से 5% जीएसटी लगाने का फैसला किया गया है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, देश के खाद्यान्न कारोबारी आक्रोशित हैं। इस फैसले से बड़ी कंपनियों को लाभ होगा, जबकि छोटी कंपनियों और कारोबारियों को नुकसान होगा। ऐसे में संगठन सभी राज्यों के वित्तमंत्रियों से फैसला वापस लेने की मांग करेगा।
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रघुराम राजन : धीमी पड़ सकती है अर्थव्यवस्था की रफ्तार
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