अब… लू की मार, उत्तर भारत में पारा 50 डिग्री पहुंचेगा, केंद्र ने बचाव के लिए जारी किए दिशानिर्देश

by sadmin

नई दिल्ली । भीषण गर्मी के बाद अब देश में लू के प्रकोप को झेलने को तैयार रहना होगा। हालात के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा निर्देश जारी की है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एडवाइजरी में नागरिकों को बताया है कि लू से बचाव के लिए और लू लगने की स्थिति में क्या करें, क्या न करें। साथ ही राज्य सरकारों को लू के मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य इंतजाम सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों के लिए प्रचंड गर्मी से राहत रहेगी, लेकिन उसके बाद पारा फिर से चढ़ेगा। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमडी ने उत्तर भारत में इस बार तापमान 50 डिग्री से ऊपर पहुंचने का अनुमान लगाया है।

केंद्र सरकार की ये एडवाइजरी ऐसे समय आई है, जब प्रचंड गर्मी ने उत्तर भारत में 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।  भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, अप्रैल में उत्तर-पश्चिमी इलाकों में औसत अधिकतम तापमान 35.90 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि मध्य भारत में ये 37.78 डिग्री रहा।  जो पिछले 120 सालों में सबसे ज्यादा है। पारे ने अप्रैल में ही कई जगह 47 डिग्री का स्तर छू लिया है। दिल्ली की गर्मी में 72 साल का रिकॉर्ड झुलस गया है। इसकी प्रमुख वजह जलवायु परिवर्तन और बारिश में बेहद कमी बताई जा रही है। 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच पूरे देश में 32 फीसदी तो उत्तर पश्चिम भारत में 86 फीसदी तक कम बारिश हुई।

खबरों के मुताबिक, गर्मी के इन्हीं तेवरों को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश जारी करके लोगों को आगाह किया है।  सलाह दी गई है कि तेज गर्मी खासकर दोपहर को 12 से 3 बजे के बीच बाहर न निकलें। जरूरी हो तो छाता लेकर जाएं या सूरज की सीधी रोशनी से बचने के लिए टोपी, तौलिया, गमछा आदि से अच्छी तरह ढककर रहें। नंगे पैर धूप में न निकलें। प्यास न होने पर भी पानी पीते रहें। ओआरएस आदि लें। मौसमी फल-सब्जियां खाएं। शराब से दूर रहें।

सरकार ने कहा है कि नवजात और छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दिमागी तौर पर परेशान लोगों और बाहर खुले में काम करने वालों को लू लगने का ज्यादा खतरा है। चक्कर आना, हाथ एड़ी व टखने में सूजन, मांसपेशियों में कमजोरी, अकड़न, 104 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा बॉडी टेम्परेचर, मिचली उलटी आना, धड़कन बढ़ना, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों को मेडिकल इमरजेंसी माना जाना चाहिए। छोटे बच्चों में खाना खाने से अरुचि, बेहद चिड़चिड़ापन, पेशाब में कमी, आलस, सुस्ती और आंखों में आंसू सूखने को खतरनाक लक्षण करार दिया गया है। कहा गया है कि अगर लू लगने के गंभीर लक्षण दिखें तो 108/102 हेल्पलाइन पर संपर्क करें।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्य सरकारों से कहा है कि स्वास्थ्य केंद्रों में 4फ्लूइड, ओआरएस, आइसपैक, ठंडे पानी के अलावा आवश्यक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराएं। संवेदनशील क्षेत्रों में पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो। चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों और जमीनी कार्यकर्ताओं को उचित जानकारी देकर अलर्ट रखा जाए। ठंडक पहुंचाने वाले उपकरणों को अबाध बिजली मिले। बिजली कटौती की स्थिति में सोलर पावर की इस्तेमाल करें। सभी जिलों में ‘गर्मी संबंधी बीमारियों पर राष्ट्रीय कार्य योजना’ संबंधी दिशानिर्देशों का दस्तावेज भेजा जाए ताकि लू लगने के मामलों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके। 1 मार्च से सभी राज्यों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत गर्मी से संबंधित बीमारियों पर दैनिक निगरानी रखी जा रही है।

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