नई दिल्ली प्रसिद्ध पत्रकार राणा अय्यूब पर धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 1.77 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि कुर्क की है। आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म केटो के जरिए राहत कार्य के लिए जुटाए गए दान को निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया। एजेंसी ने जांच के दौरान पाया कि अय्यूब न केवल राहत कार्य पर खर्च का दावा करने के लिए कुछ संस्थाओं के नाम पर फर्जी बिल तैयार किया है, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाए गए फंड से 50 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट भी की है। गाजियाबाद पुलिस की ओर से पहली एफआईएस के आधार पर पिछले साल सितंबर में अय्यूब के खिलाफ जांच शुरू की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन ने उन पर अवैध रूप से सार्वजनिक धन प्राप्त करने का आरोप लगाया था। मामला दर्ज बोते समय अय्यूब ने दावा किया था कि उनके खिलाफ धन की हेराफेरी के आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।
यूपी पुलिस की प्राथमिकी में यह दावा किया गया था कि राणा अय्यूब ने इन अभियानों के लिए धन जुटाया था– पहला झुग्गीवासियों और किसानों के लिए, असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य और अप्रैल 2020 और जून 2021 के बीच भारत में कोरोना प्रभावित लोगों की मदद के लिए। यह सब अनुमोदन प्रमाण पत्र और सरकार से पंजीकरण लिए बिना किया गया, जो कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के अनुसार आवश्यक है। ईडी की जांच से पता चला है कि अय्यूब ने इन तीन अभियानों के लिए केटो पर कुल 2.69 करोड़ रुपये जुटाए थे। ये धनराशि उनकी बहन इफ्फत शेख और पिता मोहम्मद अय्यूब वक्विफ के बैंक खातों में बड़े पैमाने पर निकाली गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि इस राशि में से उन्होंने अपने बैंक खाते में 72 लाख रुपये, बहन के खाते में 37.15 लाख और पिता के खाते में 1.60 करोड़ रुपये भेजे थे।
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