नई दिल्ली पहले ही महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को एक और झटका लग सकता है। RBI के गवर्नर ने चेतावनी दी है कि मार्च तक महंगाई पीक पर पहुंचने की आशंका है। इसके अलावा आपका लोन भी फिलहाल सस्ता नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसके मायने यह भी हैं कि आपकी मौजूदा EMI में कोई बदलाव नहीं होगा।
महंगाई से भी फिलहाल राहत नहीं
RBI ने खुदरा महंगाई दर (CPI) के वित्तीय वर्ष 2021-22 में 5.3% रहने का अनुमान लगाया। चौथी तिमाही में यह 5.7% रह सकती है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए CPI इन्फ्लेशन 4.5% रहने का अनुमान लगाया गया है। 2022-23 की पहली तिमाही में महंगाई 4.9%, दूसरी तिमाही में 5%, तीसरी तिमाही में 4% और चौथी तिमाही में 4.2% रह सकती है।
लगातार 10वीं बार स्थिर हैं ब्याज दरें
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) की मीटिंग में रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला हुआ है। लोन की ब्याज दरें तय करने वाला रेपो रेट अभी 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% है।
RBI ने लगातार 10वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले वर्ष 2020 में केंद्रीय बैंक ने मार्च में 0.75% (75 BPS) और मई में 0.40% (40 BPS) की कटौती की थी और उसके बाद से रेपो रेट 4% के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लुढ़क गया था। इसके बाद से अभी तक RBI ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है
ई-रुपी प्रीपेड वाउचर की लिमिट बढ़कर 1 लाख रुपए हुई
RBI ने ई-रुपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर के तहत कैप बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 10 हजार रुपए की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपए प्रति वाउचर कर दिया गया है। ई-रुपी मूल रूप से एक डिजिटल प्रीपेड वाउचर है, जो एक कस्टमर्स को उसके फोन पर SMS या QR कोड के रूप में मिलता है।
कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ई-रुपी को लॉन्च किया था। ई-रुपी कॉन्टैक्टलेस, कैशलेस वाउचर बेस्ड पेमेंट का तरीका है, जो यूजर्स को कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के बिना वाउचर भुनाने में मदद करता है।
क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है।
रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी, यानी नगदी को नियंत्रित किया जाता है। रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।
RBI की MPC में कुल 6 मेंबर होते हैं
ब्याज दरों पर फैसला करने वाली RBI की MPC में 6 सदस्य होते हैं। इनमें 3 सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और बाकी 3 सदस्य RBI का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गवर्नर भी शामिल होते हैं। MPC की तीन दिन तक चलने वाली मीटिंग में ही RBI रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट पर फैसला करता है।