विज्ञान अनसुलझे रहस्यों में सुपरमासिव ब्लैक होल और डार्क मैटर शामिल

by sadmin

ब्रह्माण्ड के कई अनसुलझे रहस्यों में सुपरमासिव ब्लैक होल (Supermassive Black Hole) और डार्क मैटर (Dark Matter) भी शामिल हैं. ब्रह्माण की व्याख्या करने वाले परम्परागत मॉडल से हटकर एक मॉडल के तहत खगोलविदों की एक टीम ने यह प्रस्ताव दिया है कि दोनों ही रहस्यों की प्राइमॉर्डियल ब्लैक होल (primordial black holes) से व्याख्या की जा सकती है. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ब्लैक होल ब्रह्माण्ड की शुरुआत से ही मौजूद थे. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सब सिद्ध करने के लिए अलग से किसी नए कणों या नई भौ तिकी की जरूरत नहीं पड़ेगी.

डार्क मैटर और सुपरमासिव ब्लैक होल

यह नया अध्यनय द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार हो गया है. जहां डार्क मैटर के अस्तित्व को ही अभी व्यवहारिक रूप से सिद्ध नहीं किया जा सका है, उसे कईखगोलीय घटनाओं परिघटनाओं को सिद्ध करने में उपयोग में लाया जाता है. वहीं सुपरमासिव ब्लैकहोल हमारी मिल्की वे सहित सभी गैलेक्सी के केंद्र में स्थित विशालकाय ब्लैक होल हैं. लेकिन इनका बनना कब शुरू हुआ यह अब भी गहरा रहस्य है

बिग बैंग के समय से ही

इसमें शामिल मियामी यूनिवर्सिट के निको कैपलुटी, यूरोपीय स्पेस एजेंसी के साइंस डायरेक्टर गंटर हैसिंजर और येल युनिवर्सिटी की प्रियंवदा नटराजन ने सुझाया है कि ब्लैक होल ब्रह्माण्ड की शुरुआत, यानि बिगबैंग के फौरन बाद से ही मौजूद थे. इसके साथ इन शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि यही प्राइमॉर्डियल ब्लैक होल खुद ही डार्क मैटर हो सकते हैं.

अतिविशाल से बहुत छोटे ब्लैक होल

हैसिंजर ने बताया कि अलग-अलग आकर के ब्लैक होल अब भी रहस्य ही हैं. हम यह नहीं समझ पाए हैं कि ब्रह्माण्ड के अस्तित्व के बाद से इतने कम समय में इतने विशालकाय सुपरमासिव ब्लैक होल कैसे विकसित हो गए.” दूसरी तरफ, जैसा यूरोपीय स्पेस एजेंसी गाइया के अवलोकनों से संकेत मिलते हैं, बहुत छोटे ब्लैक होल भी हो सकते हैं. यदि इनका अस्तित्व होता है, तो वे इतने छोटे होते हैं कि मरते हुए तारों से बन ही नहीं सकते.

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